भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री को फटकार लगाते हुए कहा है कि उन्हें एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों पर ‘बिना जाने’ टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। साथ ही राजनयिक माध्यमों से हुई बातचीत को राजनीतिक हितों के लिए ‘गलत तरीके से प्रस्तुत’ नहीं करना चाहिए।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर की टिप्पणी

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरु नानक देव की 551वीं जयंती पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि विभिन्न माध्यमों से वह भारत सरकार के साथ इसे उठा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार के समर्थन की बात कही थी।

किसानों से संबंधित कुछ बिना जाने की गई टिप्पणियां गैर-जरूरी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मंगलवार को कहा कि “हमने कनाडाई नेताओं द्वारा भारत में किसानों से संबंधित कुछ ‘बिना जाने’ की गई टिप्पणियों को देखा है। ऐसी टिप्पणियां गैर-जरूरी हैं, खासकर जब एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हों। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि राजनैतिक उद्देश्यों के लिए राजनयिक बातचीत को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया जाए। ”

इसके साथ ही भारत ने ट्रुडो को ये भी याद दिलाया की पेटेंट क़ानूनों की आड़ में , भारतीय कृषि उत्पादों , बासमती चावल , तुलसी , नीम आदि के विरोध में सबसे अधिक विरोध करने वाला देश कनाडा ही रहा है और आज भी बहुत से मामले अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भारतीय कृषि और कनाडा के बीच ही चल रहे हैं। इसलिए इस तरह के दोगले व्यवहार और वचन से भारतीयों को नीचा दिखाने और कनाडा में बसे सिक्खों के वोट बैंक के लिए आईंदा न किया जाए तो बेहतर होगा।

प्रधानमंत्री ट्रूडो ने की थी ये टिप्पणी

प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा था कि सिख समुदाय के लिए भारत से चिंताजनक समाचार आ रहा है। समुदाय परिवार और मित्रों के लिए चिंतित है। कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकार का बचाव करेगा। हम बातचीत में विश्वास करते हैं। हमने भारतीय प्रशासन के सामने अपनी चिंताएं रखी हैं। यह वक्त सबके साथ आने का है।

****समाचार सूत्र -हिन्दुस्तान समाचार से साभार

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