मेरी माँ कहती थी की रोटी बनाना सीखो एक रोटी तवे पर होनी चाहिय, एक पटरे पर और एक पेड़ा बना हुआ तैयार होना चाहिए उस दिन तुम समझना रोटी बनानी आ गयी । मैंने बहुत कोशिश की शुरुआत में पर नही हो पा रहा था पर जब बनी तो एक बात मैंने रोटी से सीखी वो ये कि हमको अपने रिश्ते, रूपया , रुतबा सेहत ..सब में ऐसे ही सामंजस्य बना के रखना चाहिए ।अब आप सोचोगे वो कैसे ?

हम आटे को गुथने के लिए पानी मिलाते है एक साथ करने के लिए वैसे ही हमको प्यार मुहब्बत से इनको सहेज कर रखना चाहिए चाहे वो रिश्ता हो या रुपया ,सेहत हो या रुतबा । फिर हम पेड़ा बनाते है और एक तरफ़ पटरे पर रोटी बेलते है और एक तवे पर सिक रही है ऐसे ही अपना कार्य करना चाहिए पेड़ा यानी रिश्ते,रुपया,सेहत और रुतबा को अच्छे से एक पेड़े की तरह मिला के रखो और कभी कभी हम सूखा आटा लगाते है ये वो लोग है जो हमसे जुड़ते है कुछ अच्छा सबक़ सिखाते है और कुछ बुरा तो उनको झाड़ लो फिर बेलना शुरू करते है जब हम बेलते है तो वो है हमारी मेहनत हमारा संघर्ष जितना हम सलिके से बेलेंगे उतना हम तैयार होंगे।कभी टेडी हो जाती है कभी फट जाती है ।

हमको कभी कभी फिर से पेड़ा बनाना पड़ जाता है वैसे ही जैसे कभी कभी हमारा व्यवसाय नही चल पाता या परीक्षा में कामयाब नही हो पाते तो हम फिर से कोशिश करते है ,करते है की नही !उनको पता होगा जिनके साथ ऐसा हुआ होगा या हो रहा है ।फिर हम तवे में रोटी को सेकते है और यही है वो पल जो हमको हमारी कामयाबी के क़रीब लाने के लिए कभी क़िस्मत तो कभी समाज हमारी परीक्षा ले रहा होता है हम उस कोयले से हीरा बनने की आख़िरी पड़ाव में पहुँचने वाले होते है ।

यहाँ हमको पता चल जाता है की कितनी क्षमता है हममें ,फिर रोटी को अलट पलट कर के सेकते है कभी जल जाती है कभी कच्ची रह जाती है ये तब होता है जब आप ने शुरुआत कैसे की कही कोई गलती तो नही की जैसे झूठ ,फ़रेब ,भ्रष्टाचार, रोटी के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार होते है रोटी भूख मिटाती है ,ये सारी जद्दोजहद सिर्फ़ और सिर्फ़ रोज़ी-रोटी के लिए अगर कुछ ग़लत किया तो ज़िंदगी या तो रोटी की तरह जल जाएगी या कच्ची रह जाएगी।इसलिए हर पड़ाव को समझदारी से पार करना होगा तो ज़िंदगी का सफ़र जो तय किया था वो पूरा हुआ और बहुत ही ख़ूबसूरत इंसान और खूबसूरत ज़िन्दगी तैयार है । अब आप सोचेंगे फिर तो रोटी को खा जाते है ?इसका भी जवाब हाज़िर है ।

एक सफल ज़िन्दगी शान से जिए आपके लिए ये ही बड़े गर्व की बात है ।सोचिए उनकी जिनकी रोटी अभी तक बन ही नही पा रही ।आप शुक्रगुज़ार कीजिए भगवान का की आप की ज़िन्दगी शानदार है और वो आपने खुद बनायी ।

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