कुछ दिनों पहले ही एक फिल्म में मां काली की आपत्तिजनक पोस्टर को लेकर हुआ विवाद थमा भी नहीं था कि अब भगवान शंकर की आपत्तिजनक तस्वीर छाप कर एक बार फिर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया गया है. यह आपत्तिजनक तस्वीर केरल की मैगजीन ‘द वीक’ में छापी गई है। इसी बीच खबर है कि यूपी के कानपुर में ‘द वीक’ मैगजीन के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। बीजेपी नेता प्रकाश शर्मा ने ‘द वीक’ मैगजीन के खिलाफ कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई है।
दरअसल मलयालम की पत्रिका ‘द वीक’ ने हिंदुओं के सबसे बड़े भगवान शंकर की आपत्तिजनक फोटो छाप कर करोडों हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ‘द वीक’ मलयालम की मशहूर पत्रिकाओं में से एक है. 24 जुलाई के पत्रिका के अंक में हिंदू देवी मां काली को लेकर एक लेख छापा गया है लेकिन लेख में भगवान शंकर की जो तस्वीर छापी गई है, उसे आपत्तिजनक बताया जा रहा है. बीजेपी नेता ने मैगजीन के खिलाफ जो कोतवाली में तहरीर दी इसमें उन्होंने लिखा है कि मैगजीन ने भगवान शिव और मां काली की आपत्तिजनक फोटो छापी है। इससे हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
भगवान शंकर की यह आपत्तिजनक तस्वीर पत्रिका के पेज नंबर 62 और 63 में छपी हुई है. यह पूरा व्याख्यान माता काली के उस गुस्से के समय का प्रकाशित किया गया है, जब उन्हें रोकने के लिए भगवान शंकर उनके पैरों के नीचे लेट गए थे. लेकिन तस्वीर में भगवान शंकर को आपत्तिजनक तरीके से निर्वस्त्र दर्शाया गया है, जिसे हिंदूवादी संगठन के लोग आपत्तिजनक बता रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस लेख को बिबेक देबरॉय ने लिखा है। ‘द वीक’ के स्तंभकार बिबेक देबरॉय ने 4 अगस्त को ही ट्विटर पर घोषणा की कि वे खुद को इस मैगजीन से अलग कर रहे हैं। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा, “मैगजीन ने मुझसे पूछे बिना लेख में मां काली की आपत्तिजनक तस्वीर का इस्तेमाल किया। मैं इससे आहत हूं।” प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ बिबेक देबरॉय एक अर्थशास्त्री और सम्मानित लेखक के रूप में जाने जाते हैं।
I don't think anyone reads twitter bios. So pointing out, have removed columnist, Week. pic.twitter.com/6yrTq8LT1q
— Bibek Debroy (@bibekdebroy) August 4, 2022
आपत्तिजनक तस्वीर के प्रयोग करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए देबरॉय ने मैगजीन की पत्रकारिता की नैतिकता पर सवाल उठाया। उन्होंने लिखा, “मेरा यह पत्र ‘मां काली’ पर विशेष कॉलम से संबंधित है, जिसे ‘द वीक’ ने मुझे लिखने के लिए कहा था। मैं काली की कई बेहतर तस्वीर के बारे में सोच सकता हूं और उसे उपलब्ध करवा सकता हूं। इस तस्वीर को जान-बूझकर उकसाने और भड़काने के लिए चुना गया था। कम से कम, मैं इसे इस तरह से समझता हूं।”
दरअसल हाल के दिनों में फिल्मों से लेकर मैगजीन तक सभी जगह हिंदुओं के आराध्य देवी-देवताओं के अपमान करने का एक ट्रेंड सा चल पड़ा है. कभी मां सीता मां तो कभी मां काली की छवि को भद्दे रूप में पेश किया जा रहा है और लिबरल खेमा चुप्पी साधे बैठा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम करना अब फैशन बन गया है !
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