पिछले दो दिनों में देश और दुनिया ने दो ऐसी अभूतपूर्व घटनाएं देखीं जिसने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठे ऋषिमन महामानव नरेंद्र मोदी आज की छिछली राजनीति में भी कितने निश्छल ,निष्काम पवित्र देह आत्मा हैं।
आज के जिस युग में पुत्र पिता की कटु बातों को सहन नहीं करता , शिष्य गुरु की झिड़की से भी क्रुद्ध क्षुब्ध हो जाता है ,ऐसे समय में भी , अपने विरोधियों , विपक्षियों द्वारा लगातार किए जा रहे हमले ,लगाए जा रहे आक्षेप -आरोप , निजी जीवन तक पर कटाक्ष और यहाँ तक कि अपने लिए मर जाने तक जैसी बातों को रोज़ देखने सुनने के बावजूद भी शांत मन से सब कुछ बुद्ध की तरह अपने अंदर आत्मसात कर लेना किसी इंसान के लिए सहज और सरल नहीं है।
पिछले दिनों चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में खुश सिक्खों द्वारा उसे खालिस्तान के समर्थन में मोड़ देने और गणतंत्र दिवस पर लालकिले और देश तक को अपमानित करने का प्रयास करने के बावजूद भी संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने सिक्खों को न सिर्फ देश का गौरव और शौर्य बताया , उनका मान सम्मान किया बल्कि -आम लोगों द्वारा जाने अनजाने सिक्खों पर लगाए गए आरोपों , उन्हें खालिस्तानी बुलाए जाने पर भी दुःख और क्षोभ व्यक्त किया। जबकि इसी आंदोलन की आड़ में बहुत से चरमपंथी सिक्खों ने प्रधानमंत्री मोदी के मरने तक की दुआएँ छाती पीट पीट कर की थीं।
आज संसद में एक प्रखर विपक्षी ,धुर विरोधी और हमेशा ही भाजपा और खुद प्रधानमंत्री मोदी पर अनेकों बार हमलावर रहे कांग्रेसी नेता जो इत्तेफाकन अल्प संख्यक समुदाय से भी आते हैं , गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई के समय प्रधानमंत्री का इतना भावुक हो जाना , आजाद के साथ बिताए दिनों , उनके द्वारा परस्पर सहयोग और साथ को स्मरण करते हुए , उसका उल्लेख करते हुए आँखें नम कर जाना , बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह और बता गया।
क्षुद्र मन और संकुचित हृदय वालों को दूर दूर तक भी , ऋषि जैसे इस महापुरुष की सोच , व्यवहार और नीयत की थाह नहीं हो सकती। शायद इसलिए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट ही कह दिया कि – यदि किसी को अपना गुस्सा , अपनी खीज़ , अपनी झल्लाहट , क्रोध मिटाने के लिए मोदी नाम ही मिलता है तो वे इसे भी अपना सौभाग्य मानेंगे -मोदी है तो मौक़ा है।
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