फ्रांस के एक शिक्षक की गला रेत कर ह्त्या कर दी गई और मुगल कट्टरता के इस घिनौने अपराध को देखते ही फ़्रांस सहित विश्व का कोना कोना उबल पड़ा। दूसरी तरफ मुग़ल देशों ने भी मौक़ा हाथ आया देख अपना पुराना गजवा ए दुनिया का नारा लगाते हुए जगह जगह पर फ्रांस के विरोध में ही उपद्रव ,दंगे ,प्रदर्शन करने लगे।

तुर्की और पाकिस्तान के रास्ते इसे भारत पहुँचने में ज्यादा देर नहीं लगी और लगती भी क्यों ये तो पहले से ही चरितार्थ है “बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना ” फिर अपने देश भारत में तो एक से एक बड़े वाले मुगलिये हैं उन्हीं में एक बड़े नाम और बहुत छोटी सोच वाले साईर मिया ने भी फ़रमाया कि उनको भी मौक़ा मिला तो कट्टरता को साबित करते हुए वे भी “मार डालेंगे ,हम तो मार देंगे ” का राग अलापने लगे। जब सख्ती हुई तो उबले हुए मुग़ल दरियाफ्त करने लगे कि , अगर कहीं भेजना है तो हमारे सबसे बड़े अब्बूजान देश अरब भेज दो।

लेकिन ये क्या , मियाँ जी। जिस अरब जाने और वहां जाकर कट्टरता पालने के मंसूबे आपने पाले थे उस संयुक्त अरब अमीरात ने तो खुद ही इस शरिया कानूनों में सेंध लगाते हुए बहुत सारे कट्टर नियमों को ही त्याग दिया। देखिये

अविवाहित बालिग़ पुरुष और महिला अब एक साथ आराम से रह सकते हैं और ये कानूनन वैध माना जाएगा -लिव इन रिलेशनशिप।

मदिरा ,दारु ,ठर्रा ,देसी कुछ भी पीने पर उसे अपराध नहीं माना जाएगा।

और सबसे विशेष वो मुग़ल जो अपनी बेगम ,ख़वातीन या किसी भी महिला के साथ कुछ भी गलत करता पाया गया तो उसे फिर आसान सज़ा नहीं दी जाएगी।

वल्लाह ! ये तो तौबा तौबा का मकाम हो गया पूरी दुनिया के मुग़ल देशों के लिए। संयुक्त अरब अमीरात जो अब उदारवाद और आधुनिकतावाद की तरफ मुड़ चुका है उसका ये सुधारवादी कदम , उस तुर्की के थोबड़े पर एक तगड़ा चमाट है जो अपने दो पैसे की औकात के साथ मुगलों का नया अब्बा बनने को आतुर है।

ले लोट्टा ! तलाक , विवाह विच्छेद , मुता ,हलाला आदि जैसे शरीया कानूनों को पूरी तरह से समाप्त कर नया कानून लाने की तैयारी।

महिलाओं के साथ ज्यादती की तो अब कोड़े बुर्के उठा नहीं ,पायजामे निकाल कर तशरीफ़ पर पैलेट के निशान बना दिए जाएंगे।

आत्महत्या /आत्महत्या के प्रयास को अब अपराध की श्रेणी में रख कर उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा , अलबत्ता पहले से लंबित मामले निस्तारण तक यूँ ही चलेंगे।

अब लोग कहने लगे हैं कि , अचानक ही उठाए गए इस कदम के पीछे कहीं मोदी जी और शेख जी के बीच की ताज़ा ताज़ा हुई मित्रता और शेख के अब अच्छी सनातन और अच्छी संगत में रहने के कारण तो नहीं ?? लिल्लाह !

बेचारे अभी तो ठरकी मुग़ल बिडेन की बेईमानी से भरी चुनावी बढ़त की ख़ुशी ठीक से मना भी नहीं पाए थे कि , खुद अरब के शेख जी , अपने ही हाथों से जाने दाढ़ी बुर्के शरीया सबको तिलाजंलि देने को आमादा हो गए | तुर्की ,पाकिस्तान भारत सहित विश्व के तमाम मुग़ल देशों को भी आगे आकर इस कदम , इन सुधारों का स्वागत करना चाहिए

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