उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हैवानियत का बर्बर कांड सामने आया है जिसमें दो दलित हिंदू बहनों को रेप कर जघन्य हत्या कर दी गई है। जैसे ही
ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही तमाम भीम- मीम आर्मी के गिद्ध लखीमपुर की इन बहनों के लिए दुखड़ा रोने लगे।
मगर जैसे ही यूपी पुलिस ने बताया कि जुनेद, सुहैल, हाफिज, करीमुद्दीन जैसे तमाम लोग इस रेप कांड में शामिल है वैसे ही भीम मीम गैंग के तमाम गिद्ध उसी रफ्तार से वापस अपने पाकिस्तानी ठिकानों पर उड़ गए जिस रफ्तार से ये यहां पॉलिटिकल टूरिज्म करने आए थे।
इन तमाम भीम-मीम गैंग वालों के लिए लड़की का रेप और हत्या खबर नहीं है इनके लिए यह मुद्दा तब बनता जब इस जघन्य हत्याकांड में आरोपियों के नाम सिर्फ हिंदू होते और इनके लिए सोने पर सुहागा तब होता जब यह आरोपी स्वर्ण जाति के होते… ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि किसी रेप व जघन्य हत्याकांड में आरोपियों के नाम शांतिप्रिय समुदाय से होते हैं तो इस मुद्दे पर यह पूरा गैंग चुप क्यों हो जाता है? आखिर कब तक हमारा देश भारत तुष्टीकरण के दिन तमाम गिद्धों की मौजूदगी से जूझता रहेगा? वक्त ऐसा चल भी रहा है और ऐसा और जोरदार तरीके से चलना चाहिए कि तमाम गिद्ध बेनकाब हो जाएं और इनका राजनीतिक एजेंडा जो कि इस देश को तोड़ने का है वह नंगा हो जाए।
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