आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) पर बैन लगने के बाद अब केरल हाईकोर्ट ने PFI को बड़ा झटका दिया है. दरअसल केरल HC ने गुरुवार को PFI को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने PFI को 2 हफ्ते के भीतर 5 करोड़ 20 लाख रुपए जुर्माने के तौर पर भरने का आदेश दिया है।
Now, Kerala High Court has ordered PFI to deposit an amount of Rs. 5.20 crores for the damages estimated by CPIM govt in Kerala as well as KSRTC during the strike by PFI.
Alteast 71 KSRTC buses were damaged during PFI strike.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) September 29, 2022
रिपोर्ट के मुताबिक केरल हाई कोर्ट ने PFI को राज्य सरकार के साथ-साथ KSRTC द्वारा अनुमानित फ्लैश हड़ताल के दौरान राज्य में सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान के लिए 5.20 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है. बता दें आपको PFI के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसियों की तरफ से 22 सितम्बर 2022 को हुई छापेमारी के बाद अगले दिन 23 सितंबर को PFI ने केरल में हड़ताल बुलाई थी। जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया था.
केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विरोध प्रदर्शन की इजाजत संविधान देता है, लेकिन अचानक हड़ताल करना सही नहीं है। आदेश में इसके आगे कहा गया कि हड़ताल में की गई तोड़फोड़ निंदनीय है। यह सुनवाई न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी की पीठ ने की। बेंच ने कहा कि लोगों का जीवन खतरे में डालने वालों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। कोर्ट ने जिला स्तर के अदालतों को भी ये आदेश दिया कि तोड़फोड़ में शामिल PFI कार्यकर्ता जहां भी जमानत की अर्जी दाखिल करें वहां उनकी जमानत की शर्तों में नुकसान की उन्हीं से भरपाई शामिल हो। कोर्ट ने PFI के प्रदर्शन में हुई हिंसा का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में आदेश जारी किया। हालांकि, केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने भी हाईकोर्ट से अपने हुए नुकसान की भरपाई PFI से करवाने की मांग की है।
दरअसल साल 2019 में केरल हाईकोर्ट ने हड़ताल के मानक तय करते हुए उसकी सूचना 7 दिन पहले प्रशासन को देने का निर्देश दिया था। तब कोर्ट ने इस नियम का उल्लंघन करके हुई हड़ताल को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने PFI से सवाल किया कि हड़ताल से आम आदमी का क्या वास्ता, जो इस हरकत से डर में जी रहा है? हाईकोर्ट ने पूछा कि ऐसी हरकतों से आम आदमी परेशानी क्यों झेले?
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