दरअसल हाल में IMF ने अपने FY23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद , यानी जीडीपी के आंकड़े जारी किए है , दुनिया भर में माँग की कमी रहने के कारण गिरती अर्थव्यवस्था के बीच भी सरकार के कड़े कदमो ने विभिन्न देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे ज्यादा रहने की उम्मीद है ….
कैसी है दुनियाभर में अर्थव्यवस्था
कोरोना काल से उभरने के लिए दुनिया भर के देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था में ” तरलता ” का सहारा लिया , देशों के केन्द्रीय बैंकों ने विस्तारक (या सस्ती) मौद्रिक नीति का सहारा लिया ,
देशों ने अपने CRR , रेपो रेट में कटौती कर , बैंकों को सस्ते ब्याज दरों पे लोगो को लोन उपलब्ध करवाया , ताकि अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट सके , एक समय बाद ये मुद्राफिरस्ती का कारण बना ….रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद पेट्रोल , डीजल , गैस एवम अन्य ऊर्जा से जुड़े उत्पादों का लगातार महंगा होना , युद्ध एवम कोरोना के वजह से सप्लाई चेन का टूटना , यूक्रेन ओर रूस से निर्यात होने वाली खाने पीने की वस्तु का जैसे खाने का तेल एवम गेहूँ का निर्यात की कमी पूरी दुनिया मे महँगाई का कारण बनी……
भारत की दिक्कतें
तमाम दुनियाभर के कारण सहित , जलवायु परिवर्तन भी भारत के लिए इस बार मुसीबत का कारण बना , असमान वर्षा , इस बार धान की बुआई का कम होने का कारण बनता नजर आया , जो भारत के लिए आने वाले समय मे मुसीबत का कारण बन सकता है ….लगातार मुद्रास्फीति के बाद दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद सभी देशों में मांग की कमी देखे जाने के पूरे – पूरे आसार हैं , जिसका दुष्प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ के अनुसार पड़ता हुआ नजर आ रहा है….अमेरिका के केंद्रीय बैंक के द्वारा ब्याज वृद्धि एवम डॉलर का सभी देशों के करेंसी के मुकाबले मजबूत होना , जरूरत के आयात हुए समान एवम ऊर्जा संपदा को भी महंगा बना रहा है।
कैसी होगी भारत की अर्थव्यवस्था
दुनिया भर में , इतने संकट के बावजूद भी भारत सरकार ने बड़े फैसले लेते हुए भारत हित में बहुत से काम किये है , जिससे भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले समय में दुनिया में सर्वाधिक गति से भागते हुए नजर आएगी , आईएमएफ की मानें तो भारत की अर्थव्यवस्था 6.1% की दर से बढ़ती नजर आएगी , जो विश्व भर की अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक होगी ; वही अमेरिका के 1 प्रतिशत ओर चीन 4.4 प्रतिशत पे सिमटने के आसार है ।
किन फैसलों का फायदा हुआ
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भारत में 3.50 लाख करोड़ का एक पैकेज एमएसएमई के लिए जारी किया जिसे कोरोना काल से उबरने में छोटे एवम मंझले उद्योगों को काफी सहायता मिली ;
इसी के साथ भारत ने रूस यूक्रेन का युद्ध का फायदा उठाते हुए रूस से सस्ते दरों पर क्रूड ऑयल का निर्यात किया जिससे भारत सरकार को भारत की आम जनता को कम दरो पर पेट्रोल – डीजल आदि उपलब्ध करवाना आसान हुआ ,
पेट्रोल डीजल का प्रभाव परोक्ष रूप से खाने-पीने वस्तु के महंगे होने पर भी पड़ता है …. पर भारत सरकार के लिए गए फैसलों के कारण , दूसरे देशों के मुकाबले भारत पर इसका असर काफी कम देखा गया , जहा अमेरिका मे पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा महँगाई देखी गई , वहीं भारत में महंगाई दर 6 से 7% के बीच देखी गई ,
मॉनिटरी पालिसी कमिटी के कड़े कदम
केंद्रीय बैंक द्वारा गठित मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने भी कड़े फैसले लेते हुए समय-समय पर सीआरआर एवं रेपो रेट को बढ़ाया जिससे ब्याज की दरें महंगी हुई और महंगाई दर को काबू पाने में भारत को सहायता मिली , फिर भी महँगाई दर केंद्रीय बैंक को दिए गए सिमा के ऊपर बनी हुई है ।
सरकार के किन फ़ैसले भारत के हित में होने वाले है प्रभावी
खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ने के बावजूद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का असर देखने को मिला , भारत के 80 करोड़ आम जनों को भर पेट भोजन मिल रहा है । उचित समय पर गेहूं के भारत से निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर भी सरकार ने गेहूं का दाम को कंट्रोल में रखा ,
मेक इन इंडिया के तहत सरकार द्वारा डिफेंस पर खासा ध्यान दिया गया जिसके तहत छोटे से बड़े डिफेंस में जरूरत के सामानों को धीरे – धीरे आयात बंद कर , भारत में ही निर्माण की गई वस्तुओं का इस्तेमाल करने का संकल्प आगे बढ़ाते हुए भारत को हर वर्ष डिफेंस में भारत का विदेशी मुद्रा में हजारो करोड़ बचायेगा ।
क्या है भारत की नीति
भारत सरकार द्वारा कॉरपोरेशन टैक्स में भारी कटौती एवं प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी के जरिए देश में उत्पादन होने वाली वस्तुओं पर सब्सिडी देने के तहत , भारत में ही उत्पादन एवं भारत से निर्यात को काफी बढ़ावा देता हुआ नजर आ रहा है ।
सरकार के समय रहते इन सब प्रयासों का ही नतीजा है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व मे तेज गति से बढ़ती हुई नजर आ रही है , जिससे आम नागरिकों का तो फायदा होगा , पर भारत विरोधी ताकतों के मंसूबे पर पानी भी फिरता नजर आएगा ।
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