एक समय था जब भारतीय रेल आए दिन सुर्खियों में होती थी जब हर दूसरे या तीसरे महीने किसी ना किसी जगह रेल दुर्घटना के लिए प्रसिद्ध थी , पुराने राजनीतिज्ञों द्वारा अपना पल्ला , उन मृत व्यक्तियों को कुछ मुआवजे की राशि , एक्सीडेंट के कुछ घंटे बाद ही देकर झाड़ लिया जाता था । मुवाज़ा देकर मीडिया की सुर्खियों से एक्सीडेंट की न्यूज़ को गायब कर दिया जाता था ।
क्या रही कमी
आजादी के बाद सरकारे आती गयी , जाते गई , पर किसी भी सरकार का भारतीय रेल की व्यवस्था को सुधारने में कभी भी जोर नहीं रहा और इसका यह परिणाम रहा कि आए दिन एक्सीडेंट ओर भारतीय रेल की बदनामी पूरे विश्व भर में होने लगी ,
मोदी जी के नेतृव में बदलती व्यवस्था
पर हाल के कुछ वर्षों में देखा जा रहा है कि कैसे भारतीय रेल अपनी पूर्व गौरव गाथा वापस लिखती हुई नजर आ रही है , हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बेंगलुरु में वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन कर दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को रवाना किया , जिसकी चर्चा पूरे भारतवर्ष में हो रही है ।
आइए जानते हैं क्या बदलाव हुए हैं कुछ सालों में
भारतीय रेल में सबसे बड़ी दुर्बलता उसके आए दिन एक्सीडेंट होने का कारण थे , पर यह एक्सीडेंट होने का सबसे बड़ी वजह यह थी कि पुरानी सरकारों ने कभी भी भारतीय रेल की पटरियों को बदलने पर ध्यान ही नहीं दिया , आखिरी के 70 वर्ष में अंग्रेज जितनी छोड़ कर गए थे उससे कुछ हजार किलोमीटर ही हमारी नई पटरिया बिछी , एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का रेल नेटवर्क अप्रैल 1950 तक 53,596 रूट किलोमीटर से बढ़कर मार्च 2012 में मात्र 64,600 किलोमीटर हो पाया ।
पूरे देश भर में पटरियां भी अंग्रेजों के जमाने की ही चली आ रही थी पर हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सबसे पहला ध्यान दिया गया तो वह था पुरानी परियों को बदलकर उसे रेल लाइन को मजबूती प्रदान करना , जिसका एक प्रभाव या दिखाई दे रहा है कि आज अलग-अलग रूटों पर फर्राटे से दौड़ती हुई रेलगाड़ी नजर आ रही है एवम हाल के वर्षों में अब एक्सीडेंट भी न के बराबर हो रहे है ।
प्रधानमंत्री जी का सपना
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का ही सपना है कि भारतीय रेल को पूर्ण रूप से बिजली युक्त कर दिया जाए , भारतीय रेल को पूर्ण इलेक्ट्रिफिकेशन करके डीजल गाड़ियों को कन्वर्ट करके बिजली से चलने वाली इंजन में बदला जाएगा , जिससे न सिर्फ रेल की गति बढ़ेगी बल्कि इंजन से निकलने वाला दधुँआ जो आसपास के लोगों एवं वातावरण को खराब करता है , उससे भी अब राहत मिलेगी साथ ही भारत जो डीजल आयात करता है , उसमें भी अब कमी आएगी , जिससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बचेगा ।
भारतीय रेल का दुर्भाग्य
भारतीय रेल एक बड़ादुर्भाग्य का कारण उसका जान माल की हानि से भी जानी जाती है , खास कर के लोग पटरियां पार करते समय अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाते थे , कभी स्कूल बस का एक्सीडेंट हो जाता था , जो आए दिन न्यूज़ की सुर्खियां बना हुआ रहता था , पर प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह सपना देखा गया कि सभी क्रॉसिंग को बदल कर या तो फ्लाईओवर बना दिया जाएगा या तो अंडर पास पर किसी भी क्रॉसिंग को खुले हाथ में नहीं छोड़ा जाएगा , जिससे आए दिन हमारे देश के आम जनों की मृत्यु ट्रेन की दुर्घटना से न हो ,
मोदी जी का पशु प्रेम
बड़े जानवर अक्सर रेल लाइन पार करते समय दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं जिससे उनकी मृत्यु तो होती है साथ साथ , ट्रैन की स्पीड भी काफी धीमी हो जाती है ,जिससे भारतीय रेल का समय पर चलने का जो सपना है वह अक्सर टूटता हुआ नजर आता है ,
इस समस्या को लेकर भारतीय रेल ने एक बड़ा कदम उठाते हुए दो ऑपरेशन चलाएं हैं इसका पहला नाम ऑपरेशन “बी” है जिससे मधुमक्खियों की आवाज निकाल कर जब ट्रेन हाथियों को दूर भगाती है , वही अपनी पुरानी स्लीपर्स का उपयोग करते हुए रेलवे दोनों ओर एक दीवार खड़ी कर रही है , ये न केवल एक्सीडेंट को कम करेगा , बल्कि गरीबो का पशुधन बचाएगा एवम ट्रैन को भी तीव्र गति से चलने में सहायक बनेगा ।
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