पानी महंगा – खून सस्ता क्या यही है राजस्थान की सभ्यता ?
- सही सुन रहे हैं आप यही स्थिति है राजस्थान की, राजस्थान में पिछले 3 वर्षों में हालात इस कदर है कि अपराध अपनी चरम सीमा पर है और उन्हीं अपराधों में सबसे ज्यादा अपराध महिलाओं पर है महिलाओं में भी सबसे ज्यादा अपराध अबोध और नाबालिग बच्चियों के साथ जिस प्रकार का कुकृत्य किया जा रहा है कहीं ना कहीं सुनकर, देख कर रूह कांप जाती है कि किस तरह से इंसानों के वेश में घूम रहे यह भेड़िए इंसानियत को तार-तार करते नजर आ रहे हैं भगवान के खौफ से डरे बिना मानवीय दयालुता को भूल कर निर्दयता के साथ जो घिनौनी हरकत राजस्थान में देखने को मिल रही है इससे कहीं ना कहीं पता चल रहा है कि राजस्थान की राज्य सरकार और कानून व्यवस्था किस प्रकार से अपना काम कर रही है आज राजस्थान की यह स्थिति है कि पानी अगर खरीदेंगे तो महंगा मिलेगा, जबकि खून पानी से सस्ता हो गया है किसी भी प्रकार के मामले में केंद्र में बैठी पार्टियां तथा राज्य सरकारें अपना पल्ला झाड़ लेती है केंद्र में बैठे हुक्मरान जब अपनी पार्टी की सरकारों के क्षेत्र में कोई घटना घटती है तो उसका उतना मुद्दा नहीं बनाते जितना मुद्दा अगर राज्य में उनके विपक्ष की सरकार बैठी हो तब बनाते है और नया नया शिगूफा खड़ा करके माहौल को गर्म करने का कार्य करते है उदाहरण के तौर पर हाथरस के अंदर एक बेटी के साथ निर्दयता की गई थी जिस मुद्दे के लिए प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और ना जाने कितने विपक्ष के दल सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से इजाजत ले लेकर चोरी-छिपे बल जबरन वहां पहुंच गए थे और तो और कुछ दलों ने तो आवेश में आकर पीड़ितों की पहचान भी उजागर कर दी थी लेकिन ना जाने क्यों हाथरस उत्तर प्रदेश के प्रति इतनी गंभीरता दिखाने वाले यह नेता राजस्थान में आए दिन घट रही घटनाओं में अपनी आंख बंद कर लेते हैं कानों में रुई ठूंस लेते हैं क्योंकि राजस्थान में सत्ता में बैठी राज्य सरकार उनकी पार्टी की सरकार है इससे इस बात का अंदाजा लगता है कि मानवीय संवेदनाओं का से इन लोगों को कोई लेना देना नहीं है किसी भी घटना को आधार स्तंभ बनाकर अपनी राजनीति की व्यवस्था की रोटियां सेकने के अलावा इनके मन में कुछ भी नहीं है न्याय दिलाना तो बहुत दूर की बात है न्याय दिलाने के नाम पर जिस प्रकार से घटना को नोचा जाता है यह सोचने का विषय है ऐसा नहीं है कि यह केवल कांग्रेस के साथ ऐसा हो रहा है हर एक राजनीतिक दल अपने कार्य क्षेत्र में होने वाली घटनाओं के प्रति इतने जागरूक नहीं है परंतु दूसरे दल के शासित राज्यों में अगर ऐसी कोई घटना घटती है तो इनका विधवा विलाप शुरू हो जाता है
अभी अलवर के अंदर 5 दिन पहले एक अबोध बालिका के साथ जिस प्रकार से इंसान के रूप में राक्षसों ने जो कृत्य किया उस पर वहां के स्थानीय डॉक्टरों का बयान आया की लाज करते समय डॉक्टरों की भी आत्मा रो रही थी उनके हाथ कांप रहे थे भगवान के दूत माने जाने वाले डॉक्टर भी भयंकर दुखी थे और उनका कहना था कि हो सकता है अगले 6 महीने में इस बच्ची के शरीर पर लगे घाव तो भर जाएंगे लेकिन इसके दिल और दिमाग में जो चोट पहुंची है वह घाव जिंदगी भर नहीं भरे जाएंगे, इतने भयंकर अपराध पर राजस्थान सरकार की चुप्पी तथा उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना पर किया गया बड़ा बवाल इस बात को दर्शाता है कि इन राजनीतिक दलों के लिए राजनीति से ऊपर उठकर कुछ भी नहीं है इंसान और इंसानियत की कीमत शयन राजनीतिक दलों को कोई लेना देना नहीं है भीड़ के रूप में यह केवल सबको मतदाता के रूप में देखते हैं ।।
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