जिस तरह से दिल्ली में आफताब नामक शख्स ने श्रद्धा नामक हिंदू लड़की की बेरहमी से हत्या की है उसके बाद यह विचारणीय तथ्य और यह बहस फिर से जिंदा हो गई है कि आखिर अपनी बेटियां खो रहे हिंदू मां-बाप को क्या करना चाहिए? क्या इसको महज एक घटना मान कर भुला देना चाहिए? या इस घटना स्व सबक लेकर ईमानदारी की छलनी से खुद की गलतियों को छान कर अलग कर देना चाहिए।

बहस ये है कि #Hindu मां बाप को इस दिशा में सोचना होगा कि वो अपनी बेटियों की कैसी शिक्षा दे रहे हैं..! क्या #Hindu मां बाप अपनी बेटियों से चर्चा करते हैं? क्या जवान होती बच्चियों को मां-बाप खुलकर समझाते हैं कि इस्लामिक लड़के से दोस्ती करने के क्या नुकसान हो सकते हैं? उनका कल्चर उनकी सोच उनकी 4 बीवियां, हिंदू लड़कियों के प्रति उनकी सोच क्या ये सब बातें विस्तार से कभी आप अपनी बच्चियों को समझाते हैं?

लव जिहाद #LoveJihad के जाल में फंसती हुई लड़कियों को बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है मां-बाप का अपनी बच्चियों से कम्युनिकेशन करना.. अपनी जवान होती बच्चियों को यह समझाना कि अपनी बेटी की जान मां-बाप के लिए बेहद कीमती है और वह हर सूरत में अपनी बेटी का साथ निभाएंगे, बशर्ते घर में खुलकर संवाद किया जाए।

आधुनिक होते समाज में आपको सोचना होगा कि बच्चों को बंद दरवाजों की कुंडियो में रखने से बच्चे नए रास्ते खोजेंगे और वे झूठ की खिड़कियों से कहीं दूर निकल जाएंगे…बेहतर होगा कि मां बाप एकजुट होकर अपनी बेटियों से संवाद करें..उन्हें समझाएं कि आखिर क्या सही है और क्या गलत?

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