#वैदिक_धर्म_में_सिर_पर_शिखा_अर्थात_चोटी धारण करने का असाधारण महत्व है। प्रत्येक बालक के जन्म के बाद मुण्डन संस्कार के पश्चात सिर के उस विषेश भाग पर गौ के नवजात बच्चे के खुर के प्रमाण आकार की चोटी रखने का विधान है। यह वही स्थान होता है जहां #सुषुम्ना_नाडी पीठ के मध्य भाग में से होती हुई ऊपर की ओर आकार समाप्त होता है। और उसमे से सिर के विभिन्न अंगों के वात संस्थान का संचालन करने को अनेक सुक्ष्म वात नाड़ियों का प्रारम्भ होता है। सुषुम्ना नाड़ी सम्पूर्ण शरीर के वात संस्थान का संचालन करतीं हैं। यदि इसमें से निकलने वाली कोई नाड़ी किसी भी कारण से सुस्त पड़ जाती है तो उस अंग को फालिज मारना कहते हैं। समस्त शरीर को शक्ति केवल सुषुम्ना नाड़ी से ही मिलती है। सिर के जिस भाग चोटी रखी जाती है उसी स्थान पर अस्धि के नीचे लघुमस्तिष्क का स्थान होता है जो गौ के नवजात बच्चों के खुर के ही आकार का होता है और शिखा भी उतनी ही बड़ी उसके उपर रखी जाती है।_ बाल गर्मी पैदा करतें हैं बालों में विधुत का संग्रह रहता है जो सुषुम्ना नाड़ी को उतनी ऊष्मा हर समय प्रदान करते रहते हैं जितनी की उसे समस्त शरीर के वात संस्थान वात-नाडी संस्थान को जागृत वो उत्तेजित करने के लिए आवश्यकता होती है।

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