राष्ट्रध्वज राष्ट्र की अस्मिता है। 26 जनवरी और 15 अगस्त को ये राष्ट्रध्वज अभिमान के साथ दिखाए जाते हैं; परंतु उसी दिन ये  कागज / प्लास्टिक के छोटे छोटे राष्ट्रध्वज सडकों, कचरे और नालियों में फटी हुई अवस्था में पड़े मिलते हैं । प्लास्टिक के ध्वज तुरंत नष्ट भी नहीं होते, इसलिए अनेक दिनों तक इन राष्ट्रध्वजों को अनादर सहना पडता है। राष्ट्रध्वज का यह अनादर रोकने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (103/2011) प्रविष्ट की गई थी। इस संबंध में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज द्वारा होनेवाला अपमान रोकने का आदेश सरकार को दिया था। उसके अनुसार केंद्रीय और राज्य गृह विभाग तथा शिक्षा विभाग ने इससे संबंधित परिपत्रक भी निकाला था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी ‘प्लास्टिक बंदी का निर्णय लिया है। उसके अनुसार भी प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का विक्रय करना’ असंवैधानिक है।

इस वर्ष दुकानों में तथा ई-कॉमर्स वेबसाइट पर तिरंगे के रंग के मास्क  विक्रय होते हुए  दिखाई दे रहे  हैं । तिरंगे का मास्क उपयोग करने से राष्ट्रध्वज की पवित्रता भंग होती है। ‘तिरंगा मास्क’ देश प्रेम के प्रदर्शन का माध्यम नहीं है, अपितु ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रध्वज का इस प्रकार से उपयोग करना’ ध्वज का अपमान ही है। यह ‘राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971’ का उल्लंघन है। इसलिए ‘तिरंगे मास्क’ का विक्रय तथा उपयोग करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट किया जाना चाहिए ।

उच्च न्यायालय ने विशेषतः सरकार को ‘राष्ट्रध्वज का अपमान रोकने के लिए कृति समिति की स्थापना करने तथा उसमें सामाजिक संस्थाओं को सम्मिलित करने के आदेश दिए हैं। इसमें प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज द्वारा होने वाले अपमान रोकने के लिए विविध माध्यमों से जनजागृति करना अभिप्रेत है (उदा. पत्रक, फलक, विज्ञापनों द्वारा उद्बोधन) ।समिति गत 20 वर्षों से राष्ट्रध्वज के अपमान के विरुद्ध राष्ट्रीय कर्तव्य के रूप में उद्बोधन कर रही है। समिति द्वारा विद्यालय-महाविद्यालयों में व्याख्यान करना, प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता आयोजित करना, हस्तपत्रक वितरित करना, भित्तीपत्रक – फ्लेक्स लगाना, स्थानीय केबल वाहिनियों पर ध्वनिचक्रिकाएं (सीडी) दिखाना, सडकों पर पड़े राष्ट्रध्वज एकत्रित करना, सामाजिक जालस्थलों द्वारा अभियान कार्यान्वित करना आदि उपक्रम कार्यान्वित किए जाते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक भारतीय को इस राष्ट्र कार्य में अपना योगदान देने की आवश्यकता है ।

गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति जागरूकता का राष्ट्रीय पर्व है। राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्र का नक्शा (अर्थात मानबिंदु) हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं। उनका सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। कई जगहों पर हम राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान अथवा हमारे राष्ट्र के मानचित्र का अपमान होते हुए देखते हैं। हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना और उन्हें कहीं भी अपमानित होने से रोकना भी हमारी देशभक्ति ही है।

निम्नलिखित कार्य करने से निश्चित रूप से राष्ट्राभिमान को जगाने में सहायता होगी। –

1. ध्वज अपमान को रोकना
2. क्रांतिकारियों के चरित्रों का अध्ययन और उनके मूल्यों को व्यवहार में लाना
3. देशभक्ति गीतों का पाठ और समूहों में गायन
4. विद्यालय में संपूर्ण वंदे मातरम कहने के लिए प्रेरित करना
5. राष्ट्रगान का अपमान हो रहा है तो इसे रोकें
6. क्रांतिकारियों के जीवन पर आधारित सेमिनार तथा चर्चा सत्र का आयोजन
7. प्रतिज्ञा के अनुसार आचरण करना
8. क्रांतिकारियों और देशभक्तों के चित्रों की प्रदर्शनियों का आयोजन
9. स्वतंत्रता दिवस अथवा गणतंत्र -दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज के होने वाले अपमान को रोकना

जय हिंद ! जय भारत!

रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

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