इन दिनों मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पर उत्तराखंड का उत्तरकाशी इलाका चर्चा के केंद्र में है। भले ही देवभूमि उत्तराखंड इस समय संकट में है। लेकिन इस विकट परिस्थिति में भी जो कुछ उत्तरकाशी में हुआ, उससे भारत देश के हिंदुओं को एक बड़ा संदेश देने का काम किया है और ये बताया है कि एकता में कितनी शक्ति होती है. इतना ही नहीं साफ-साफ शब्दों में ये संदेश भी दिया गया कि उत्तराखंड की पवित्र धरती पर कट्टरता और कट्टरपंथियों के लिए कोई जगह नहीं है.
देवभूमि वो जगह है जहां कण-कण में ईश्वर का वास है लेकिन हाल में घटी एक घटना ने यहां की संस्कृति पर ही मानो चोट कर दिया। जिसमें पुरोला बाजार के एक स्थानीय दुकानदार की बेटी, एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण का प्रयास शामिल था। जब स्थानीय नागरिकों को इस प्रयास के बारे में पता चला, तो वे डरे नही ना ही घबराए बल्कि सामूहिक रूप से एक साथ प्रदर्शन करते हुए एकजुट रहे। वे न केवल बच्ची को छुड़ाने में कामयाब रहे, बल्कि इस कृत्य के पीछे शामिल कट्टरपंथी मुसलमानों के खिलाफ एक कड़ा संदेश छोड़ दिया. इतना ही नहीं ऐसी विचारधाराओं से जुड़े सभी दुकानदारों से इस क्षेत्र को खाली करने को बोला गया। नतीजा ये हुआ कि कुछ ही दिनों में इलाके में डेरा जमाए 42 से अधिक मुसलमान दुकानदारों को बोरिया बिस्तर बांधने पर मजबूर होना पड़ा. इस घटना ने लोगों के अंदर एक क्रांति जगाने का काम. उत्तरकाशी और अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, इस्लामी चरमपंथियों और उनके संरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया गया.
उत्तरकाशी की घटनाओं को स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार दोनों के लिए एक वेक-अप कॉल के रूप में काम करना चाहिए। जिस एकता के साथ हिंदुओं ने काम किया है वो वाकई उत्तराखंड के लिए आशा की किरण साबित होगी और देश को बांटने और तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ एक ढाल का काम करेगी.
उत्तराखंड के हिंदुओं का संदेश देश भर के सनातनियों के लिए स्पष्ट है – हम एकजुट हैं तभी सुरक्षित है। आज जिस एकता का परिचय उत्तराखंड के हिंदुओं ने दिया है वो पूरे भारत के लिए एक अभियान बन जाना चाहिए.
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