जिस तरह से फिल्म आदिपुरुष को लेकर चारों तरफ विरोध हो रहा है उसे लेकर फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर ने अपनी सफाई में एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि फ़िल्म में कुछ समवादों को चेंज किया जाएगा।
मनोज ने अपनी सफाई में लिखा है कि …
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना.
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं.
उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान…— Manoj Muntashir Shukla (@manojmuntashir) June 18, 2023
वहीं दूसरी तरफ मनोज के ट्वीट के बाद तमाम वो लोग भड़क गए हैं जो मनोज मुंतशिर की मंशा पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं। मनोज मुंतशिर की भाषा में दम्भ है, जो बताने की कोशिश कर रहा है कि फिल्म बनाकर उन्होंने सनातन धर्म पर बहुत महान काम किया है। मनोज मुंतशिर कि इस ट्वीट के चलते चारों तरफ उनकी निंदा हो रही है
फिल्म सनातन सेवा के लिए नहीं बनाई गई है। सनातन के पुनः उदय और जागरण की भावना को भुना अपनी जेब भरने के लिए बनाई गई है। अगर उद्देश्य धर्म जागरण होता तो "जलेगी तेरे बाप की" जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं होता। रामायण के मूल रूप का सम्मान करते हुए आम बोल चाल की भाषा में भी डायलॉग्स लिखे…
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) June 18, 2023
आखिर क्यों ऐसा होता है कि किसी और धर्म के किरदारों के साथ छेड़छाड़ नहीं होती है और सिर्फ सनातन धर्म के साथ ही ऐसे प्रयोग किये जाते हैं।क्या किसी बम्बई वाले फिल्मकार में हिम्मत है कि मुहम्मद या जीसस या नानक पर कोई कल्पना वाली फिल्म बना सके? kreately Media कहता है कि ऐसा होना भी नहीं चाहिए, मगर ये सब सिर्फ सनातन धर्म के साथ ही क्यों होता है।अपनी Creative लिबर्टी की आड़ में हमारे धर्म के साथ ही खिलवाड़ क्यो? और कबतक?
इन बम्बई गैंग को ये समझना होगा कि सनातन धर्म कोई सस्ती किताब का तरीका नही है, ये जीवन दर्शन की गहराई है इसे समझने के लिए सहजता और गम्भीरता दोनों चाहिए।
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