प्रस्तावना : सैकडों वर्ष के प्रदीर्घ संघर्ष के उपरांत अंततः जनवरी 2024 में अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य श्रीराम मंदिर में श्री रामलला विराजमान हुए । प्रभु श्रीराम के अयोध्यापति बनने के उपरांत पृथ्वी पर रामराज्य अवतरित हुआ था । श्रीराम मंदिर के निर्माण के उपरांत हिन्दू मानस को अब आहट लगी है रामराज्य रूपी हिन्दू राष्ट्र की ! कुछ वर्षाें तक जहां हिन्दू राष्ट्र शब्द का उच्चारण भी अपराध होने जैसी स्थिति थी; परंतु आज हिन्दू राष्ट्र की चर्चा केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु विश्व स्तर पर हो रही है । यह काल की महिमा है । कोई घटना स्थूल से होने से पूर्व सूक्ष्म से घटित होती है, ऐसा शास्त्र बताता है । रामायण घटित होने से पूर्व वाल्मीकि ऋषि ने उसे लिखा था । श्रीराम मंदिर का निर्माण तो सूक्ष्म से रामराज्य का अर्थात हिन्दू राष्ट्र का आरंभ ही है । जिस श्रीराम के लिए संपूर्ण विश्व के हिन्दू श्रद्धालु जात–पात–दल–संप्रदाय आदि सभी भेद भुलाकर उत्साह के साथ एक हुए, ऐसा ही संगठन एवं समर्पण हिन्दू राष्ट्र हेतु भी हो । रामराज्य रूपी हिन्दू राष्ट्र के लिए यह जो जन-आंदोलन खडा हो रहा है, वह शीघ्रातिशीघ्र सफल संपूर्ण हो, यह प्रार्थना !
हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना : हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना राजनीतिक नहीं, अपितु धर्माधिष्ठित है । संविधान में केवल ‘ सेक्युलर’ शब्द के स्थान पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द अंतर्भूत करने तक ही हिन्दू राष्ट्र सीमित नहीं है, अपितु हिन्दू राष्ट्र तो एक आदर्श राजव्यवस्था है । रामराज्य ने आदर्श राज्य व्यवस्था का मापदंड सुनिश्चित कराया है । आज लाखों वर्ष बीत गए; परंतु आज भी ‘रामराज्य’ लोगों की स्मृति में है; क्योंकि उसे धार्मिक अधिष्ठान प्राप्त था । उसके कारण रामराज्य के नागरिक सुसंस्कृत, सुखी एवं संतुष्ट थे । वहां भ्रष्टाचार, महामारी, प्राकृतिक आपदा आदि का कोई स्थान नहीं था । महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के ‘युद्धकांड’ में ऐसा लिखा है, ‘श्रीराम के शासनकाल में कभी भी विलाप सुनाई नहीं दिया ।’ विगत 11 वर्षाें से ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में ऐसे रामराज्य की शैली पर स्थित धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष किया जा रहा है । हिन्दू राष्ट्र का अर्थ केवल हिन्दुओं का राष्ट्र ऐसा नहीं है, अपितु विश्व कल्याण हेतु कार्यरत सात्त्विक लोगों का राष्ट्र !
हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता : आज की सेक्युलर व्यवस्था हिन्दुओं का दमन तथा अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करनेवाली व्यवस्था है । सेक्युलर व्यवस्था में मंदिरों का सरकारीकरण किया जाता है; मंदिरों के कोष का उपयोग अन्य पंथियों के लिए किया जाता है; किंतु अन्य पंथियों के प्रार्थना स्थलों का सरकारीकरण नहीं होता । सेक्युलर व्यवस्था में देवता–देश–धर्म की रक्षा हेतु जन जागरण करना सीधे ‘हेट स्पीच’ माना जाता है; परंतु सनातन धर्म की तुलना डेंग्यू, मलेरिया, कुष्ठ रोगों के साथ कर सनातन धर्म का निर्मूलन करने की भाषा बोलने वालों पर कार्यवाही नहीं होती । सेक्युलर व्यवस्था ने अन्य पंथियों को सरकारी अनुदान से उनके धर्म के अनुसार शैक्षणिक संस्थान स्थापना करने की अनुमति होती है; परंतु इस देश में रहने वाले 100 करोड हिन्दुओं के लिए इसकी अनुमति नहीं है । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करनेवाले करोडों बांग्लादेशी तथा लाखों रोहिंग्याओं की घुसपैठ पर मौन बने रहते हैं । आज भी हिन्दुओं की चुन–चुन कर हत्याएं की जा रही हैं । उत्तर प्रदेश के बदायूं में धर्मांधों द्वारा 2 कोमल बच्चों की गर्दनें काटने की भीषण घटना सामने आई थी । जहां संपूर्ण देश में इस घटना की निंदा हो रही थी, वहां पुलिस के साथ की मुठभेड में दोषी धर्मांध के मारे जाने पर उसके अंतिम संस्कार में 30 हजार का समुदाय इकट्ठा हुआ था । यह देश के लिए संकटभरी चेतावनी है । ‘लव जिहाद’, ‘हलाल जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’ आदि माध्यमों से भारत के तथा हिन्दू समाज को खोखला करने का प्रयास हो रहे हैं । कुछ दिन पूर्व ‘इत्तेहाद मिल्लत काऊंसिल’ के प्रमुख मौलाना तौकीर ने ‘मुसलमान युवक यदि नियंत्रण के बाहर चले गए, तो देश में आंतरिक युद्ध भडक सकता है’, यह खुलेआम धमकी दी थी । दक्षिण एशिया का बडे शिक्षा संस्थान ‘दारुल उलुम देवबंद’ ने भारत को ‘गजवा–ए–हिन्द’ बनाने का अर्थात भारत के इस्लामीकरण का फतवा दिया है । ये सभी घटनाएं सेक्युलर व्यवस्था की असफलता दर्शाने वाली तथा हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता दर्शाने वाली हैं । हिन्दू धर्म, साथ ही राष्ट्र पर हो रहे आघातों का ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना ही एकमात्र उत्तर है । जैसे छत्रपती शिवाजी महाराज के ‘हिन्दवी स्वराज’ स्थापन होने के उपरांत इस्लामी आक्रांताओ का हुडदंग समाप्त हुआ, वैसे ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होते ही वर्तमान अराजकता रुकेगी !
अधिवेशनों की फलोत्पत्ति : हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष जनमानस तक पहुंचाने में अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों का बडा योगदान है, साथ ही व्यवस्था में हिन्दू हित की दृष्टि से परिवर्तन आने में भी इन अधिवेशनों का योगदान रहा है । वर्तमान समय में ‘सीएए’ (नागरिकता संशोधन कानून) लागू हुआ है । हिन्दू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के संदर्भ में प्रथम अधिवेशन से ही ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किए जाते थे । इस कानून का प्रारूप सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जो बैठक बुलाई गई थी, उसमें हिन्दू जनजागृति समिति को आमंत्रित किया गया था ।
उसके साथ ही लव जिहाद एवं हलाल जिहाद के विरोध में अधिवेशन में विचारमंथन एवं कार्यान्वयन प्रारूप सुनिश्चित किए जाने के उपरांत आज उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियणा, कर्नाटक आदि राज्यों में लव जिहाद विरोधी कानून बनाए गए, जबकि उत्तर प्रदेश में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया । केंद्र सरकार ने ‘एपेडा’ के (कृषि एवं प्रक्रियायुक्त खाद्यान्न उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण) की नियमावली में संशोधन कर मांस उत्पादकों एवं उसके निर्यातकों के लिए अनिवार्य ‘हलाल’ शब्द को हटा दिया गया है । इसके साथ ही अधिवेशन में गठित हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने सरकारीकृत मंदिरों में चल रहा भ्रष्टाचार उजागर किया । आज हिन्दू हित की रक्षा हेतु तथा हिन्दू विरोधी घटनाओं पर लगाम लगाने हेतु हिन्दू विधिज्ञ परिषद क्रियाशील बन गई है । अधिवेशन में मंदिर संस्कृति की रक्षा हेतु विचारमंथन होकर जो कार्यान्वयन प्रारूप सुनिश्चित किया गया, उसके उपरांत लगभग एक हजार से अधिक मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की गई है । कर्नाटक में मंदिरों पर कर (टैक्स) लगाने का निर्णय काँग्रेस सरकार को रद्द करना पडा ।
इस अधिवेशन में देश–विदेशों से आनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही राष्ट्रनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहकर हिन्दू राष्ट्र के कार्य को गति प्रदान करते हैं । इसके फलस्वरूप अभी तक के अधिवेशनों के माध्यम से 1000 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का संगठन बन गया है, हिन्दू राष्ट्र के विषय में जागृति लानेवाले 1800 से अधिक आंदोलन किए गए हैं, 2000 से अधिक व्याख्यान, जबकि प्रांतीय स्तर पर 200 से अधिक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुए हैं । हिन्दू राष्ट्र का आंदोलन जनमानस तक पहुंचाने में हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का बडा योगदान है । वर्तमान समय में विश्व स्तर पर हिन्दू परिषदें आयोजित की जा रही हैं तथा आध्यात्मिक महोत्सव मनाए जा रहे हैं । वैचारिक, संवैधानिक एवं कार्यान्वयन के स्तर पर किए गए हिन्दू राष्ट्र के बीजारोपण में अधिवेशन का योगदान है । ‘सामर्थ्य है आंदोलन का; परंतु वहां भगवान का अधिष्ठान आवश्यक है’, इस वचन के अनुसार संतों के आशीर्वाद तथा ईश्वर की कृपा से यह अधिवेशन सफल हो रहा है ।
इस वर्ष का अधिवेशन : इस वर्ष भी 24 से 30 जून की अवधि में फोंडा, गोवा में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ अर्थात् द्वादश ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न होने वाला है । सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिन्दू समाज की रक्षा के उपाय, हिन्दू राष्ट्र हेतु संवैधानिक प्रयास, मंदिर संस्कृति की रक्षा के उपाय तथा विश्व स्तर पर हिन्दुत्व की रक्षा इस वर्ष के अधिवेशन के प्रमुख पहलू होंगे । हिन्दू जनजागृती समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगलेजी, तमिलनाडु स्थित संगठन हिन्दू मक्कल कच्छी के संस्थापक–अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपत, भाजपा के हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक श्री. टी. राजा सिंह, साथ ही काशी–मथुरा मंदिरों की मुक्ति हेतु कानूनी लडाई लडने वाले सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन आदि अनेक प्रमुख वक्ता इस अधिवेशन को संबोधित करेंगे । यह अधिवेशन हिन्दू जनजागृति समिति के www.hindujagruti.org इस जाल स्थल पर ऑनलाइन देखा जा सकेगा । ‘सुखी–संतुष्ट–सुरक्षित जीवन की हिन्दू राष्ट्र ही गारंटी होने’ से हिन्दू राष्ट्र के इस आंदोलन में सभी सम्मिलित हों ।
– संकलक : श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृती समिति
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