यह तीन घटनाएं हाल में ही हुई है:
- हरियाणा बल्लभगढ़ में मोहम्मद तौफीक नें में असफल होने पर कालेज से वापस आ रही निकिता तोमर को दिन दहाड़े मार डाला। तौफीक नें निकिता को जबरन कार में बिठाने का प्रयास किया था। मो. तौफीक (मेवात) का चचेरा भाई आफताब अहमद मेवात जिले की नूंह सीट से कांग्रेस विधायक है। निकिता 12वीं में टॉपर रही। बीकॉम के प्रत्येक वर्ष में टॉप करती थी। एयरफोर्स की परीक्षा दी थी। लेफ्टिनेंट बनना चाहती थी। निकिता तोमर की गलती बस इतनी थी कि उसने तौफीक के प्यार को ठुकराया। 2018 में अपहरण के बाद तौफीक के परिजन पाँव पर लोट गए, पुलिस में नहीं गई। तौफीक ने एहसान चुका दिया।
- सूरत में मोहम्मद आलम, रामू संतराम गोस्वामी की पत्नी को फोन करके संबध बनाने का दबाव डालता था, रामू नें इसका विरोध किया तो आलम नें साथियों के साथ घर में घुसकर बच्चे के सामने रामू की गला काटकर नृसंश हत्या कर दी।
- रायबरेली के उसरैना गांव में मोहम्मद नौशे पुत्र अब्दुल नें 17 वर्षीय हिन्दू लड़की के सामने प्रेम प्रस्ताव रखा था,किशोरी के मना करने पर नौशे नें घर में घुसकर तमंचे से उसपर फायर कर दिया। आरोपी गिरफ्तार,लड़की की हालत गंभीर है।
“अगर उनकी बेटी से प्यार करोगे तो मार दिए जाओगे” – राहुल कंडेरा, अंकित सक्सेना (दिल्ली)
“अगर उनके बेटे से प्यार नहीं करोगी तो मार दी जाओगी” – निकिता तोमर (फरीदाबाद)
बाकी भाईचारे के लिए @TanishqJewelry जैसे एड, बॉलीवुड के ढोंगी सितारे, और चीनसे रिश्वत लेने वाले लिबरल सेकुलर और कम्युनिस्ट पत्रकार तो है ही।
हाथरस और बलिया पर हल्ला मचाने वाले सब बुद्धजीवी आज चुप है। हा आप लोग बोलेगे भी क्यो? क्योकी निकीता तोमर दलित नही है। एक गैर समुदाय के वोट बैंक के लिए इतना नीचे गिर जाओगे ?
क्यो असहिष्णुता ब्रिगेड अब सेक्युलर बुरके में घुसी है? क्या यही है गंगा जमुनी तहजीब ? क्या सेकुलरिज्म का ठेका सिर्फ हिंदुओं ने लिया है?
आखिर कब तक चलेगा ऐसा? न जाने और कितनी लड़कियों की बलि चढ़ जाएगी? क्या सरकार खामोश रह कर देखती जाएगी?
क्या सरकार कोई सख्त कदम उठाएगी? महिला और बाल विकास, सुरक्षा, सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता …. यह सब इलेक्शन के मुद्दे रह गए हैं।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.