दिल्ली दंगे (Delhi Riots 2020) के आरोपी और जेएनयू के पूर्व स्टूडेंट लीडर उमर खालिद के खिलाफ अलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ऐक्ट यानी UAPA के तहत मुकदमा चलाने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने आखिर मंजूरी दे ही दी। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली पुलिस को AAP सरकार की तरफ से खालिद के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी मिल गई है।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमने दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए हर केस में प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी दे दी है। अब यह कोर्ट को देखना है कि आरोपी कौन हैं।’
अधिकारी ने बताया, ‘यूएपीए की धारा 13 के तहत किसी के खिलाफ केस चलाने के लिए हमें गृह मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत होती है, जो हमें पहले ही मिल चुकी है। यूएपीए ऐक्ट की धारा 16, 17 और 18 के तहत केस चलाने के लिए हमें दिल्ली सरकार से मंजूरी मिल चुकी है।’
उमर खालिद को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था
उत्तर-पूर्व दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों को लेकर उमर खालिद को 13 सितंबर को यूएपीए ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली दंगे में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
यूएपीए बहुत ही सख्त कानून है। यह 1967 में वजूद में आया था जब संसद ने इसे मंजूरी दी थी। लेकिन तब से लेकर इसमें कई संशोधन हो चुके हैं। पिछले साल 2019 में इसमें संशोधन कर और सख्त बनाया गया, जिसके तहत सिर्फ संगठनों को नहीं बल्कि व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है। उनकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। इस कानून का उद्देश्य आतंकवाद, नक्सलवाद और देशविरोधी गतिविधियों से बेहतर ढंग से निपटना है।
UAPA के तहत आरोपी को साबित करना होगा बेगुनाही
इस कानून के तहत आरोपी बनाए गए शख्स को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती है। खास बात यह है कि इस कानून के तहत आरोपी को अदालत में साबित करना होता है कि वह निर्दोष है, न कि अभियोजन को साबित करना पड़ेगा कि आरोपी दोषी है। खालिद के खिलाफ इसके तहत केस चलाने की मंजूरी मिल जाने के बाद जेएनयू के इस पूर्व छात्रनेता की मुश्किल बढ़ गई है। अब उन्हें अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करना होगा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.