Writer/Rakesh Thakur
शीर्षक में दी गई वाक्य को यदि वास्तविक रूप से समझना और जानना है तब इसके जड़ के साथ मूल को संक्षिप्त में विस्तृत प्रकाश डालना होगा,आप भी या पढ़ कर आश्चर्यचकित हो गए होंगे कि आखिर यह मैंने क्या लिखा! जी हां संक्षिप्त में विस्तृत प्रकाश मतलब उस अंश की चर्चा करूंगा जो अपने देश या देशवासी से जुड़ा होगाI
देश से जुड़े इस विषय को विस्तृत रूप से प्रकाश डालना है तब,आपको इसे दो हिस्सों में बांट कर समझना होगा पहला हिस्सा देश के आजादी का पूर्व का है और दूसरा हिस्सा देश के आजादी के बाद का हैI
आइए सर्वप्रथम देश के आजादी के पूर्व के कांग्रेस को समझते हैं जहां तक आप शुरुआत के पढ़ाई काल के वक्त पढ़ा और सुना होगा कि देश की आजादी के लिए सर्वप्रथम आंदोलन सन 1857 ईसा पूर्व में हुई थी जिस आंदोलन का नेतृत्व मां भारती के सच्चे सपूतों ने किया था यह आंदोलन इतना प्रभावशाली थी कि अंग्रेज शासकों की जड़ मूल हिला डाली थी लेकिन दुर्भाग्यवश अंग्रेजी मूल के सिपाही के अत्याचार के कारण यह आंदोलन शासकों की दृष्टि में असफल रहा परंतु देशवासी के लिए आजादी की आकांक्षा का प्रथम अंकुर थी यह अंकुर पौधे के साथ पूर्ण वृक्ष में न परिवर्तित हो जाए इस डर से अंग्रेज शासन और प्रशासन सतर्क हो गई तत्पश्चात उन्होंने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद ऐसी आंदोलन की पुनरावृत्ति ना हो यह सुनिश्चित करने के लिए अंग्रेज शासन ने अपने सेवानिवृत्त ऑफिसर ए ओ ह्यूम जो उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के कलेक्टर के पद पर नियुक्त थे उनके नेतृत्व में कांग्रेस नाम से एक संगठन की स्थापना की जिसका उद्देश्य आजादी प्राप्त करने के लक्ष्य से कोसों दूर सिर्फ और सिर्फ अंग्रेज राजकीय शासन प्रशासन और उसके सभ्यता संस्कृति को भारतवासी के जन-जन तक पहुंचाना तथा भारतीय समाज को यह समझाना था कि अंग्रेजी राज आप लोग का सबसे बड़ा हितेषी है यह आपके और पूरे समाज के भविष्य की चिंता करता है इस राज से शत्रुता का भाव त्याग दें और इनको अपने शासक के रूप में स्वीकार करेंI
अंग्रेज के द्वारा स्थापित इस संगठन में भारतीय समाज के तरफ से कुल 61 प्रबुद्ध सदस्य को चुना गया था जिसका नेतृत्व उमेश चंद्र बनर्जी ने किया था उस समय नेतृत्वकर्ता का कार्यकाल 1 वर्ष का होता थाI
धीरे धीरे यह अंग्रेज द्वारा स्थापित संगठन समाज के जमीनी स्तर पर मौजूद प्रबुद्ध व्यक्तियों तक अपना पहुंच बनाना शुरु कर दिया, उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ भारतवासी को यह समझाना अंग्रेज राज तुम्हारा हितेषी है इससे मित्रता का भाव रखो इससे शत्रुता का भाव त्याग दो और इसे अपना शासक स्वीकार करोI
वर्षों तक यह संगठन कुछ इसी प्रकार के उद्देश्य के साथ कार्य करता रहा इसमें कभी-कभी उतार-चढ़ाव भी देखें गए लेकिन समय की मांग और जनमानस का आजादी प्राप्त करने की ललक के दबाव में जब सन 1924 ईसा पूर्व में महात्मा गांधी जी इस संगठन के अध्यक्ष बने तब जनमानस के दबाव में आकर आजादी का नेतृत्व करना स्वीकार किया तथा उन्होंने एक शर्त रखी यह संगठन सिर्फ अहिंसा रूपी आंदोलन के साथ आजादी प्राप्त करने की लड़ाई लड़ेगा,धीरे धीरे यह अहिंसा आंदोलन आगे बढ़ती गई और आगे चलकर अहिंसा रूपी आंदोलन के शर्त के कारण कॉन्ग्रेस दो घरों में बटा दोनों धरा अपने अपने तरीके से आंदोलन का नेतृत्व किया और अंततोगत्वा सन 15 अगस्त 1947 ईसा पूर्व को देश स्वाधीन हुआI
लेकिन उसके बाद हमेशा देश के अंदर या बाहर एक चर्चा के विषय बना रहा कि देश की आजादी किस धरे के सफल आंदोलन की बदौलत मिली! जहां तक मेरा मानना है देश की आजादी संपूर्ण जनमानस के सफल प्रयास के कारण प्राप्त हुईI
अगले लेखन में सन 1947 ईसा पूर्व के बाद वाली कांग्रेस और देश भक्ति की चर्चा करेंगेI
धन्यवाद
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