वर्तमान समय मे भीमराव अंबेडकर को भारत के सबसे बड़े नेता और सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है|जैसे भारत को आजादी दिलाने, भारत को संविधान देने मे केवल एक ही व्यक्ति है अंबेडकर |
लेकिन जब महात्मा गांधी ओर सरदार पटेल जैसे महान व्यक्तित्व निरंतर विभिन्न तरीकों से अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ते रहे तब अंबेडकर अंत तक उन्ही विदेशी आक्रान्ताओ की सेवा करते रहे|
जब गांधी,नेहरू,सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस रामप्रसाद बिस्मिल,खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारी विभिन्न आंदोलनों के जरिये अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे, अंग्रेजी शासन को भारत से उखाड़ फेंक देना चाहते थे तब डॉ अंबेडकर ने कभी भी हिंदुस्तान के लिए अंग्रेजी शासन को गलत नहीं बताया बल्कि वो अंग्रेजी शासन के पक्षधर थे, अंबेडकर ने ब्रिटिश इंडिया के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि दलित समाज नहीं चाहता की भारत मे सत्ता अंग्रेजी हाथों से हस्तांतरित हो| ये भारत का दुर्भाग्य ही है कि ऐसे व्यक्ति को भारत रत्न से सम्मानित किया गया |
डॉ अंबेडकर ने हर संभावित तरीके से भारतीय स्वतंत्रता का विरोध किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को ‘A dishonest agitation’ यानि ‘एक बेईमान आंदोलन’कहा|
चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियो ने जहां अल्प समय मे ही अपने प्राणों की आहुति केवल इसलिए दे दी क्योंकि उनके लिए अपना राष्ट्र प्रथम था, बल्कि डॉ अंबेडकर ने खुद कहा था की उनके लिए राष्ट्र से पहले अपना समाज है|
जिस समय चंद्रशेखर आजाद साइकिल से यात्रा करते थे, उस समय अंबेडकर साहब फ्लाइट से लंदन तक की यात्रा करते थे
जिस समय रामप्रसाद बिस्मिल को लोहे के चने चबाने की कठोर यातनाएं दी जाती थी उस समय अंबेडकर ब्रिटिश अधिकारियो के साथ शाही भोज करते थे|
जब भगत सिंह को फांसी को सजा सुनाई गई तो अंबेडकर ने भगत का मुकदमा नहीं लडा बल्कि वो अंग्रेजी मुकदमे लड़ने मे व्यस्त थे|
अंबेडकर ने हिन्दू संस्कृति को नीचा दिखाने और खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए 1927 मे हिन्दुओ के पवित्र ग्रंथ ‘मनुस्मृति’ को जलाया| हालाकी अम्बेडकर् अनुनाइयों ने मनुस्मृति का एक भी शब्द ना पढ़ा हो मगर वो जात- पात का शाश्वत कारण मनुस्मृति को ही मानते हैं|
भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक Pakistan or partition of India मे लिखा था कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की परिकल्पना यदि सत्य होती है तो यह देश के लिए सबसे बड़ी विपत्ति होगी।
ये सत्य है की उन्होंने कई बार इस्लाम धर्म की निंदा की है ,पर वे हिन्दू धर्म के सखत विरोधी थे,इसका पता उनकी किताब “Riddals of hinduism “मे हिन्दुत्व ,उनके धार्मिक ग्रंथों जैसे भगवद गीता की निंदा करने से चलता है।
डॉ अंबेडकर ने पेरियार और जिन्ना के साथ मिलकर पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान को दलीतीस्तान और द्रवीडिस्तान बनाने की साजिश रची थी।
संविधान सभा मे अंबेडकर के साथ 388 सदस्य और थे लेकिन भारतीय संविधान निर्माण का श्रेय केवल अंबेडकर को दिया जाता है,यह देश का दुर्भाग्य ही है कि की हम संविधान को अपने हाथों से लिखने वाले बी एन राऊ को भी भूल गए|
अंबेडकर ने जातिगत घ्रणा को बढ़ावा दिया, हालांकि उनके ही ब्राह्मण शिक्षक ने भीमराव को अपना उपनाम ‘अंबेडकर’ तक दान कर दिया, बड़ौदा राज्य के सयाजी राव गायकवाड ने भारत,इंग्लैंड और यहाँ तक की अमेरिका मे भी उनकी शिक्षा का खर्चा उठाया फिर भी अंबेडकर समर्थकों द्वारा दलित समाज की हर परिस्तिथि के लिए केवल ब्राह्मण और सवर्ण समाज को उत्तरदायी ठहराया जाता है|
वर्तमान समय मे अंबेडकर को गरीबों का मसीहा कहा जाता है लेकिन ये एक चौकाने वाला तथ्य है की जब अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार मे श्रम मंत्री के रूप मे सेवा दी तो लाखों भारतीय भूखे मरने को मजबूर थे|
अंत मे यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि जिस व्यक्ति ने भारत की स्वतंत्रता का विरोध किया, जो सनातन संस्कृति के खिलाफ थे, उनको भारत रत्न से ही नहीं से नवाजा गया अपितु सर्वाधिक पूजनीय हस्ती माना जाता है|
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