ज़रा सोचिए और विचार कीजिए: मुस्लिम महिलाएं पढ़-लिखकर भी हिजाब बांधती हैं और हिन्दू महिलाएं अपने ही धर्म से बचती हैं!
जब मुस्लिम स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो आरफा खानम शेरवानी, शेहला रशीद जैसी कट्टर इस्लामिक स्त्रियाँ परिदृष्य में आती हैं और मुस्लिम आइडियोलॉजी की प्रचारक पैदा होती हैं। जब हिंदू स्त्रियों में फेमनिज्म जागता है तो मैत्रेयी पुष्पा, संजुक्ता बासु और अणुशक्ति जैसी हिंदुत्व विरोधी, इस्लाम चाटू फेमनिस्ट नमूनी सामने आती हैं।