सुंदर उत्तर पूर्वी राज्य को कैसे धीरे धीरे मुगलिया कट्टरपंथियों ने अपनी प्रयोगशाला बना रखा है इसका सारा कच्चा चिठ्ठा अब सिविक और सुरक्षा जाँच एजेंसियों की गहन जाँच में सामने आ रहा है।
याद करिये कैसे नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में असम और उससे सटे बंगाल को दंगों फसादों की आग में झोंकने की कोशिश की गई थी। और कैसे दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड में से एक शरजील इमाम ने असम को चिकेन नेक करार देकर उसे भारत से अलग करने की साजिश रची थी।
अभी दो दिनों पूर्व ही वहां के अजमल बदरुद्दीन पर सुरक्षा एजेंसियों से विदेश से आतंकी संगठनों , अलकायदा , ISISI , तालिबान आदि से हवाला के जरिये करोड़ों रूपए मंगवा कर उस पैसे का दुरूपयोग करने के खुलासे ने मुग़ल कट्टरपंथियों में हड़कंप मचा दिया था।
अब एक नए खुलासे में , राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने तिनसुकिया के मदरसों में बच्चों को दिए जा रहे हथियारों के प्रशिक्षण का संज्ञान लेते हुए उप जिलाधिकारी को इस मामले की पूरी रिपोर्ट के साथ स्वयं उपेक्षित होने का आदेश दिया है।
ये लोग छोटे छोटे बच्चों के हाथों में बंदूक ,बम ,बारूद देकर उनके दिमाग में पूरी दुनिया और इंसानियत के प्रति ऐसा ज़हर भर रहे हैं कि युवा होते होते वे कट्टर जेहादी बन जाते हैं , लेकिन अब दुनिया और देश में इनकी सारी काली हरी चादर के नीचे का घिनौना सच निकल कर सामने आ रहा है।
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