उठो, जागो अभियान कार्य योजना
६ वर्ष पूर्व सत्ता परिवर्तन के बाद एक नई अाशा का संचार हुअा था। ऐसा लगा था कि अब राष्ट्र हितों को ध्यान में रखते हुये कुछ मूलभूत अामूल-चूल परिवर्तन होंगें, अौर भारत अौर हिंदु विरोधी शक्तियों के दशकों से चले अा रहे वर्चस्व को तोड़ा जा सकेगा। वैचारिक, नितिगत, वैधानिक, प्रशासनिक, संस्थागत, सामाजिक, अौर सांस्कृतिक स्तरों पर उनके विषैले प्रभाव को समाप्त करने के लिये ये अति अावश्यक था। इस प्रकार एक नये स्वाभिमानी, समर्थ, सशक्त, समृद्ध, अौर अपनी समस्त विभिन्नताअों के साथ एकीकृत भारत का प्रादुर्भाव होता जो सारे विश्व के लिये उदाहरण बनता।
ऐसा हुअा नहीं। कुछ अत्यंत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन हुये लेकिन भारत अौर हिंदु विरोधी विचारों अौर शक्तियों को प्रश्रय मिलना बंद नहीं हुअा। वो हमारी ही छाती पर बैठ कर अाज भी मूँग दलती हैं अौर हम उनका नग्न नृत्य देखते रहते हैं।ये शक्तियाँ एक कैंसरीय महाजाल की तरह हैं, अौर योजनाबद्ध रणनिति के अनुसार काम करती हैं, अौर इनके तार देश-विदेश में अविरत षडयंत्ररत् भारत तोड़क तत्वों से जुड़े हैं जो अन्यान्य स्रोतों से मिल रहे धन अौर समर्थन द्वारा पोषित अौर पल्लवित होते हैं।
ऐसा नहीं है कि इन शक्तियों को चुनौतियाँ नहीं मिल रहीं। पहले भी मिल रहीं थीं अौर अाज भी मिल रहीं हैं। जब कि संघ परिवार अौर उसके अनुषांगिक संगठन अौर अन्य संस्थायें अलग अलग धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक अौर अन्य क्षेत्रों में काम करते रहे हैं, फिर भी उनके वैचारिक प्रभाव अौर सांगठनिक धरातलीय विस्तार की अपनी सीमायें रहीं हैं।
पिछले ६ वर्षों में ‘सोशल मिडिया’ के तीव्र विकास के साथ हमने ये देखा कि इन भारत तोड़क, हिंदु विरोधी शक्तियों का प्रत्युत्तर देने के लिये सजग, सचेत, स्वतंत्र, प्रबुद्ध अौर प्रखर राष्ट्रवादी विचारकों अौर स्वस्फूर्त अौर स्वप्रेरित ‘सोशल मिडिया योद्धाअों’ का एक बहुत ही प्रभावी वर्ग अा खड़ा हुअा है जो किसी संघ परिवार जैसे वृहद संगठनात्मक ढ़ाँचे से नहीं जुड़ा लेकिन बड़ी ही तन्मयता, लगन, तीक्ष्ण रचनात्मक अौर वैचारिक कुशाग्रता के साथ रणक्षेत्र में डट के खड़ा अौर युद्धरत दिखाई पड़ता है। इनकी सक्रियता अौर प्रभाव क्षेत्र सोशल मिडिया के इतर धरातल पर भी देखा जा सकता है।
प्राय: यह देखा गया है कि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही राष्ट्रवादी सरकार या भारतीय़ जनता पार्टी से सीधे सीधे जुड़े मंत्री, नेता, पदाधिकारी, सोशल मिडिया अौर अाम कार्यकर्ता भी उतने प्रभावी ढ़ंग अौर तत्परता से अपनी बात नहीं रख पाते जितने कि ये स्वतंत्र विचारक अौर ‘सोशल मिडिया योद्धा’।इसका कारण उनकी वैचारिक अौर बौद्धिक अपरिपक्वता, सामरिक दृष्टिकोण अौर वैचारिक संवाद का अभाव, अौर घोर अकर्मण्यता ही है जिस के कारण वो पिछले ६ वर्षों में सत्ता परिवर्तन के मूल उद्देश्यों की पूर्ति अौर सरकारी तंत्र के परिमार्जन में सर्वथा असफल सिद्ध हुये हैं।
अावश्यकता है अलग अलग स्थानों, गुटों अौर समूहों में कार्यरत सभी राष्ट्रवादियों में तारतम्य, अापसी विचार-विमर्श अौर संवाद स्थापित करने की जिस से एक सम्यक वैचारिक अौर सामरिक दृष्टिकोण विकसित हो। भारत अौर हिंदु विरोधी शक्तियों से देश के अंदर अौर बाहर के मोर्चों पर प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिये ये करना ही होगा।
इसके लिये एक वैचारिक, सामाजिक अौर धरातलीय अभियान की अावश्यकता होगी जिसे हम ‘उठो, जागो अभियान’ के नाम से जानेगें। यह रही ऐसे अांदोलन की रुपरेखा पर एक कार्य योजना।
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