मैं मेदक(वर्तमान तेलंगाना का ) एक संसदीय क्षेत्र ) के लोगों को इंदिरा गाँधी द्वारा बेवकूफ बनाए जाने से बचाने के लिए चुनाव लड़ रही हूँ – 1980 में इंदिरा गाँधी को चुनाव के मैदान में ललकारने वाली – शकुंतला देवी |
ये पिछली काहिल सरकारों की बदमाशी का ही परिणाम है कि जिस नाम और शख्सियत को आज , देश के हर बच्चे बच्चे को , और बच्चे ही क्यों ,बड़ों , तमाम विद्वानों शिक्षकों , गणितज्ञों को न सिर्फ पहचानना चाहिए था बल्कि देश के तमाम बड़े बड़े शोध संस्थानों , शिक्षण संस्थानों का नाम उनके नाम पर होना चाहिए था ,और देश के किसी भी सिलेबस की किताब उनके नाम के जिक्र के बिना अधूरी है |
आज उसे याद दिलाने के लिए सिने जगत की तारिका और मशहूर अभिनेत्री विद्या बालन को एक फिल्म -शकुंतला (जो आगामी 31 जुलाई को , अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ होने जा रही है ) जो उनके नाम और जीवन पर आधारित है बना कर देश से उनका परिचय कराने को विवश होना पड़ रहा है |
शंकुतला देवी – मानव कम्प्यूटर के नाम से आजादी से पहले ही पूरे विश्व में न सिर्फ अपनी गणीतीय गणना की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया में मनवा लिया था बल्कि वर्ष 1982 कम्प्यूटर को बहुत गूढ़ गूढ़ गणितीय प्रमेयों की गणना में उससे तेज़ हल करके गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज़ करवाया था |
समलैंगिंकता (homo Sexuality ) जिसके लिए सालों की लम्बी लड़ाई लड़ कर अब कुछ वर्षों पूर्व न्यायपालिका के हस्तक्षेप के बाद उसका अधिकार मिलने पाने वालों को शायद ही ये पता हो कि भारत में इस विषय पर पहली किताब लिख कर अपने बेबाक विचार रखने वाली व्यक्ति -शकुंतला देवी ही थीं |
गणित और संख्या के प्रति शंकुतला का आकर्षण तीन वर्ष की छोटी आयु से ही हो गया था जब वे अपने पिता के साथ सर्कस के उनके काम में ताश के पत्तों से जादू के खेल को देखा करती थीं | पिता ने उनकी प्रतिभा को भाँप कर सड़कों पर ही उनकी इस जादूगरी का प्रदर्शन करना शुरू किया |सिर्फ छः वर्ष की आयु में उन्होंने मैसूर विश्व विद्यालय में अपनी इसी प्रतिभा के जादू से सबको हैरान कर दिया |
अगले कुछ सालों में लन्दन ,यूरोप समेत विश्व के दर्जनों देशों में उन्हें उनकी ये प्रतिभा दिखाने के लिए आमंत्रित किया गया | जहाँ उन्हें उस समय तकनीक के क्षेत्र में तहलका मचा रहे कम्प्यूटर के सामने ला खड़ा किया गया | उन्होंने न सिर्फ कंप्यूटर जितना ही सटीक गणना परिणाम मुंह जबानी सुनाए बल्कि कंप्यूटर से कहीं अधिक तेज़ गति से उन्हें सबके सामने हल कर सबको चकित कर दिया |
सर 19 वर्ष के वैवाहिक जीवन ( भारतीय प्रशानिक सेवा के अधिकारी पारितोष बैनर्जी के साथ उनका दाम्पत्य जीवन 1960 से 1979 तक रहा ) में भी वे हमेशा गणित और संख्या के प्रति ही समर्पित रहीं | इस बीच वे एक पुत्री की माँ बनीं |
साठ के दशक में विदेश से वापस भारत आने के बाद भी वे अपने गणित प्रेम के प्रति समर्पित रहीं और इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के विरूद्ध चुनाव में ताल ठोंक दी | उस वक्त चुनाव में नौवें स्थान पर रही शकुंतला देवी आज तक किसी भी बाजी में दूसरे पायदान पर नहीं आईं |
गणितीय संख्याओं के प्रति अपने समपर्ण के अलावा उन्होंने ज्योतिष , पाक कला और अन्य विषयों पर दर्ज़नों पुस्तकों के साथ साथ कई उपन्यास भी लिखे | वर्ष 1929 में जन्मीं शकुंतला देवी का निधन वर्ष 1983 अप्रैल में 83 वर्ष की उम्र में हुआ |उसी वर्ष 4 नवम्बर (उनके जन्म दिवस की तिथि पर ) गूगल ने अपने खोज इंजन में उनके चित्र का डूडल बना कर उन्हें याद किया |
शकुंतला देवी जैसी शख्सियत युगों में एक बार ही जन्म लेती हैं और फिर अपने काम से अपने नाम को अगले कई युगों तक अंकित करके चली जाती हैं |
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