काफिर काफिर शिया काफिर गूंज रहा हैं पाकिस्तान की गलियों में
शिया मुसलमानों ने भी हिंदुओं से अलग देश बनाने के लिए हिंसा का नंगा नाच किया था
35% से घटकर 5% रह गयी हैं पाकिस्तान में शिया मुसलमानों की जनसंख्या
काफिरो से अलग मुसलमानों का अपना देश बनाने के लिए शिया और अहमदिया मुसलमानों ने जोर शोर से भारत में दंगे और आतंक फैलाया था। अब शिया और अहमदिया दोनों को ही पाकिस्तान में काफिर घोषित कर दिया गया हैं।
पाकिस्तान में हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं ईसाई ही नहीं, शियाओं और अहमदियों का अस्तित्व भी खतरे में हो चला है। पाकिस्तान में कभी 35 फीसदी आबादी शियाओं की हुआ करती थी लेकिन अब पाकिस्तान की अनुमानित 20 करोड़ की आबादी में 1 करोड़ 60 लाख से कम जनसंख्या रह गई है।
पाकिस्तान के कराची में हजारों लोग शिया-विरोधी प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए। इसके साथ ही देश में दंगों की आशंका पैदा होने लगी है। सोशल मीडिया पर पहले से ही प्रदर्शन की चर्चा तेज है। लोग पोस्ट, फोटो और वीडियो शेयर कर रहे हैं। इस दौरान ‘शिया काफिर हैं’ के नारे बुलंद किए जा रहे हैं और आतंकी संगठन सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान के बैनर लहराए जा रहे हैं। संगठन शियाओं की हत्या के लिए ही कुख्यात है।
हाल के सालों में पाकिस्तान में कई बार शिया धार्मिक स्थलों को आतंकवादी हमलों में निशाना बनाया गया है। लश्कर-ए-झांगवी पाकिस्तान के उन सबसे हिंसक सुन्नी चरमपंथी समूहों में से एक है जिसका नाम ज्यादातर शिया विरोधी हमलों में सामने आता है।
लश्कर-ए-झांगवी संगठन ने 2011 में शिया मुसलमानों को खुलेआम धमकी जारी करते हुए कहा था कि सभी शिया मुसलमानों को मौत के घाट उतारा जाएगा और पाकिस्तान उनकी कब्रगाह बनेगा।
बलूचिस्तान में 2013 में लगभग 200 शिया हज़ारा समुदाय के लोगों का कत्ल कर दिया गया। इससे पहले 2012 में 125 से ज्यादा शियाओं का कत्ल कर दिया गया था। हर साल शियाओं पर बड़े हमले कर दहशत फैलाई जाती है ताकि शिया स्थान विशेष को छोड़कर एक जगह इकट्ठे हो जाएं। उल्लेखनीय है कि 10 जनवरी 2013 को क्वेटा में हुए 2 धमाकों में 115 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से ज्यादातर हजारा शिया थे। 1 माह से कम के अरसे में कैरानी रोड के धमाके में फिर 89 लोग मारे गए। इस तरह लगातार हमले पर हमले करके शियाओं में दहशत फैलाकर उन्हें खत्म करने की साजिश जारी है। एक अनुमान के मुताबिक 2013 से 2016 तक बम धमाकों में 2,000 से ज्यादा शिया मुसलमानों को मौत के घाट उतारा जा चुका है और लाखों को सुन्नी बहुल इलाकों से पलायन करने के लिए मजबूर किया जा चुका है। ऐसा शायद ही कोई माह गुजरता है, जब शिया मुसलमानों पर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं होता हो।
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