दो दिन पहले ब्राह्मणों के कुछ समूहों द्वारा कर्नाटक के विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्यपुस्तकों में वर्णित कुछ उन अंशों को हटाया गया जिनसे ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत करने वाला माना गया था। राज्य सरकार ने इन पुस्तकों से उन अनुच्छेदों ,वाक्यों और पाठों को हटाने का निर्णय लिया।
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री श्री एस सुरेश ने राज्य के पुलिस आयुक्त को इस बाबत लिखित शिकायत की थी की कक्षा 6 के सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में वर्णित उन अंशों को किताबों से हटाया जाए जिनसे ब्राह्मणों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचती है।
सामाजिक विज्ञान की इस पुस्तक में पृष्ठ संख्या 82 व 83 पर वर्णित अध्याय “नए धर्मों का उदय ” अल्पायु के शिशुओं के लिए अनुचित व असंगत है। इसलिए इसे अविलम्ब हटा देना चाहिए। गत मंगलवार को कर्नाटक राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए इसका पुरज़ोर विरोध किया था।
विशेषकर इसमें वर्णित यह बात कि , वैदिक काल में ब्राह्मणों द्वारा कृषि जनित एवं दुधारू पशुओं की बलि देने की प्रथा के कारण खाद्यान्न संकट और अकाल पड़ा था पर बहुत ही सख्त विरोध जताया गया।
शिक्षा मंत्री सुरेश ने इसके साथ ही कक्षा एक से लेकर कक्षा दस तक पढ़ाई जाने वाली सभी पाठ्यपुस्तकों के पाठ व सामग्री की जांच और परीक्षण हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का भी गठन कर दिया है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.