इसे कहते हैं ,पूत के पाँव पालने में दिखना। अभी अभी चुनाव हार कर बिहार को इंजीनियर से सीधा नौवीं फेल का घनघोर नेतृत्व प्रदान करने से वंचित रह जाने वाले तेजस्वी यादव ने अपने पूजनीय पप्पा जी के नक़्शे कदम पर चलते हुए अभूतपूर्व फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। अरे नहीं नहीं वो चारा खाकर गोबर देने जैसी किसी साहसिक योजना पर काम नहीं कर रहे हैं , आप भी न।
असल में चुनाव में हेलीकॉप्टर से बिहार के एक एक जिल्ला को हिल्ला कर धांग देने में पार्टी का इतना सारा पैसा खर्च हुआ था , तो इसी उम्मीद पर न कि कल को चुनाव जीत कर सबका विकास किया जाएगा। मगर वो तो हो न सका।
सो तेजस्वी यादव ने एक नायाब उपाय निकाला और अपने जीते हुए 75 विधायकों और 10 विधान परिषद सदस्यों को पार्टी के खजाने में हर महीने मात्र 25 हज़ार की छोटी सी धनराशि जमा कराना होगा। ले लोट्टा !
बवाल मच गया भाई , सबने तेजस्वी दरबार में गुहार लगाई , कोरोना काल में तो स्कूल भी फीस माफ़ कर रहे हैं , कम कर रहे हैं तो फिर फैसला किया गया कि चलो ठीक है , जाओ सिर्फ दस दस हज़ार जमा करवाओ ताकि हर महीने कम से कम आठ लाख पचास हज़ार तो खाते में आएं और इस हिसाब से साल भर के एक करोड़ रुपए से अधिक पार्टी फंड में। ये हुई न बात , आम के आम गुठलियों के दाम।
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