पूरी दुनिया में हर कोई दूसरे को अपने पंथ सम्प्रदाय का बनाने के लिए जाने कितने ही तरह के प्रपंच रचने में लगा हुआ है। कोई सैकड़ों सालों से बन्दूक बम बारूद के दम पर अपना तथाकथित जेहाद का जुनून लिए पूरी दुनिया को बुर्के में डाल देने पर आमादा दिखाई देता है तो कोई , धर्म सहायता , ज्ञान बाँटने , गरीबी मिटाने , रोग दुःख कष्ट हरने के नाम पर अपनी धर्मांतरण की दुकान खोले बैठा है। लेकिन एक इत्तेफाक जरूर है , वो ये कि अलग अलग शक्लों से अपने अलग अलग करतब दिखाने वाले इन तमाम लोगों का निशाना , ग्राहक हमेशा से सरल , सहृदय ,सहिष्णु -सनातन समाज का हिन्दू ही रहा है।
विशेषकर पश्चिमी जगत का वो छद्मवादी , उपभोक्तावाद के चरम पर बैठा स्वघोषित सर्वज्ञानी , आधुनिक सभ्य ईसाई समाज। वो समाज जो दुनिया की सारी सभ्यताओं को शान्ति और सुकून , विकास और सहभागिता का पाठ पढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है खुद ही भूल जाता है कि इसी आधुनिक समाज और इनके लोगों ने पूरी दुनिया को एक नहीं दो दो बार विश्व युद्ध की आग में झोंक कर पूरी तरह ख़त्म करने की मूर्खता कर रखी है।
विश्व सहित पूरे भारत में , पश्चिम से आयातित धार्मिक मान्यता ईसा के चर्च और मिशनरियों को असल में भारत की हज़ारों वर्षों पहले की संपन्न सुसंकृत और उन्नत व्यवस्था , संस्कार ,शिक्षा और व्यव्हार को सीखने में अपना समय व्यतीत करने की बजाय ये सब के सब एक अघोषित एजेंडे के तहत जिस एक काम को बखूबी अंजाम देने में लगे हैं वो है -हिन्दुओं को ईसाईयत में किसी भी तरह से परिवर्तित कर दिया जाए।
केरल , उड़ीसा , छत्तीसगढ़ , झारखंड से लेकर अब पंजाब , बिहार और मध्यप्रदेश तक में ईसा के नाम पर खोली गई धर्मांतरण की दुकानों के अंदर का काला सच और दबा /दबाया हुआ काला धन , अब दोनों पर ही शनि की वक्र दृष्टि पड़ चुकी है।
मोदी सरकार द्वारा लाए गए अचूक कानूनों में से एक विदेशी मुद्रा विनियमन कानून में किए गए संशोधनों के कारण अब तक स्वयं सेवी संस्था , धर्म संस्थाओं , सामाजिक संस्थाओं, प्रहरी संस्थाओं के नाम पर खोली और चलाई जा रही हज़ारों दुकानों की जाँच पड़ताल से वो वो सच और उसके साथ ही अथाह काला धन की जानकारी सामने निकल कर आ रही है वो इस देश की जनता को , जिसे पिछले 60 वर्षों तक याचक बनाए रखा गया बनिस्पत इसके कि उसके हिंदुस्तान की अनमोल मिट्टी में होने के बावजूद अपने अधिकारों से ही अपरिचित और दूर रखा गया।
लगातार पड़ रहे छापे और दर्ज़ किए जा रहे मुकदमों से इन तमाम धंधेबाजों के नीचे की जमीन खिसकी हुई है। याद रहे नोटबंदी जैसे बड़े कदम को बड़े साहस के साथ सरकार रख सकी तो वो सिर्फ इसलिए क्यूंकि उसे पता था कि इस देश की अधिकाँश जनता , परिश्रमी और ईमानदार है फर्क उन मुट्ठी भर लोगों को जरूर पड़ा होगा जिन्होंने पैसों के अम्बार को ही जीवन का ध्येय समझ रखा होगा।
इस विशेष मुहिम में लगी टीम लीगल राइट्स ऑब्जर्वेट्री का शोध , सूचना , शिकायत सब कुछ इतना अचूक काम कर रहा है कि सारे सफेदपोशों की कलई एक एक करके खोली जा रही है। सभी जाँच एजेसियों के रडार पर आते जा रहे हैं और देर सवेर क़ानून की सज़ा के हकदार भी होंगे।
गोहाटी ,असम की डॉन बोस्को सोसायटी , कट्टर कैथोलिक समूह जो सिर्फ धर्मांतरण के लिए कुख्यात है से पूरे 132 करोड़ रूपए मंगवाता है और जाहिर है की कहाँ खर्च किये जाते होंगे ये पैसे
एक दूसरी घटना को भी देखिये :-यहां सेंत थॉमस एवेजलीकल चर्च ऑफ़ इण्डिया लगभग 11 करोड़ रूपए की राशि का व्यय पूरी बेशर्मी से मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ ,झारखंड ,बिहार ,उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश ,हरियाणा ,दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों में धर्मांतरण में व्यय किए जाने की सूचना भी संधान और शोध का विषय है।
अभी तो ये बस एक शुरुआत भर है कि बहुत कुछ पारदर्शी होना शुरू हुआ है , आगे जनता खुद तय करेगी
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