उनके मज़हब में बुतपरस्ती कुफ्र है बहुत बड़ा गुनाह ए अजीम है और वे अपने आपको बुतशिकन कहलाना अपनी शान समझते हैं। दुनिया में जहाँ भी जिसका बुत देखते हैं वहीं उनकी हैवानियत जाग जाती है और वे उसे मिटाने तोड़ने हटाने के लिए और भी ज्यादा पागल हो उठते हैं।

फिर जब बात हिन्दू देवी देवताओं की हो , भगवान् भगवती की मूर्तियों की हो तो उन्हें पत्थर से लेकर मिटटी तक की मूर्तियाँ भी अपने मज़हब के लिए क़यामत सरीखी लगने लगती हैं। दुनिया भर में और विशेषकर भारत और उसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान ,बांग्लादेश आदि में तो आए दिन मुगलिया हैवानों द्वारा बुतशिकनी का ये काम किया जा रहा है।

अभी हाल ही में विश्व के सब कट्टर और कायर आतंकी संगठन आईएसआईएसआई ने अपनी पत्रिका में महादेव शिव की एक मूर्ति जिसका सर अलग कर दिया गया है को प्रदर्शित करके लिखा है कि दुनिया भर के भगवान् और देवी देवताओं की मूर्तियों को नष्ट करने का समय आ गया है। और सच कहा जाए तो इससे ज्यादा नीच और घृणित सोच की अपेक्षा उनसे की भी नहीं जानी चाहिए।

लेकिन इन मुगलिया हैवानों का दोगलापन अगले ही पल फिर दुनिया के सामने आ जाता है और फिर ये अपनी गर्दन शतुर्मुग की तरह रेत में छुपा कर बगलें झाँकने पर मजबूर हो जाते हैं। इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में विषय व्यापार मेला लगा हुआ है।

इस व्यापार मेले में कम से कम ऐसी 500 स्टॉल /दुकानें ऐसी हैं जिनमें मुस्लिम मूर्तिकार /चित्रकार और कारीगर सिर्फ और सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियाँ / उनके चित्र /पेंटिंग्स/फोटो आदि बना कर बेच कर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं। ये सनातन धर्म की सहिष्णुता और सुंदरता ही है कि उसके ईष्ट किसी के लिए भी सहज ही उपलब्ध हैं पूजने के लिए भी और शायद तोड़ने के लिए भी।

पोस्ट के लेखक द्वारा खींची गई इस तस्वीर को एक बानगी भर समझ कर सोचिये कि किस तरह से मुगलिया समाज अपने ही एजेंडे के दोगलेपन का शिकार होकर सरे बाजार जलील हो जाता है। मुगलिया कट्टरता के ठेकदारों को इन सब पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन यही मूर्तियाँ जब मंदिरों में स्थापित होकर पूजी जाती हैं तो उन पर क़यामत और कहर बरपने लगता है।

यहाँ एक गंभीर तथ्य ये भी है कि , ये सब यह सोचने पर भी विवश कर देता है कि हिन्दू समाज में आज भी कुम्हार नामक जाति -जिनके जिम्मे ये कार्य ये कला थी और आज भी ग्राम्य समाज में वही ये सब कर रहे हैं उनमें भी साजिशन मुगलिया घुसपैठ कराकर इस रोजगार से भी उन्हें किनारे कर दिया गया।

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