क्या लगता है आप पाठकों को..??
क्या ये सच में ही वैक्सीन के लिए चिंता है या ये लोग मोदीजी के विरोध में पागल हो चुके है।
क्योंकि जिस वैक्सीन का इंतज़ार पिछले 1 वर्ष से हो रहा था और ये नेता ही जो पहले वैक्सीन की देरी पर सवाल उठा रहे थे, अब वैक्सीन आने के बाद इतने बौखला क्यों गए है..??
ये लोग मोदीजी के विरोध में इतने पागल हो चुके है कि इन्हें अब देश के कर्मठ वैज्ञानिकों की मेहनत भी नही दिखाई दे रही है अपितु ये तो इस वैक्सीन का भी राजनीतिकरण कर चुके है।
सबसे पहले अखिलेश यादव, जो कि सिडनी यूनिवर्सिटी से शायद शिक्षित है, वो कहते है कि मुझे भाजपा की वैक्सीन नही चाहिए।
तो अखिलेश जी ये बताइए क्या वैज्ञानिक भाजपा के थे, रिसर्च करने वाली संस्था भाजपा की थी या भाजपा के कहने पर वैज्ञानिक कार्य कर रहे थे।
कुछ तो अपनी पढ़ाई का प्रयोग कीजिए या फर्जी डिग्रियों से ही काम चला रहे है अभी तक।
अब बात करते है जयराम रमेश की, जो MIT संस्थान से शिक्षित है, वो कहते है भारत बायोटेक नई कम्पनी है इसलिए स्वास्थ्य मंत्री को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
तो जयरामजी किस बात का स्पष्टीकरण चाहिए आपको, उस कंपनी का जिसकी तारीफ WHO भी कर चुका है।
अब आपके बयान से तो लगता है कि आप स्वयं को वैज्ञानिकों से ज्यादा समझदार समझते है और यदि आप समझदार है तो अपनी इस समझदारी का उपयोग आपकी पार्टी के बड़े नेता पर कीजिए, उन्हें समझ की बहुत जरूरत है।
इस पागलपन की लिस्ट में अगला नाम है शशि थरूर, जो Tufts यूनिवर्सिटी से शिक्षित है, वो जयराम रमेश से एक कदम आगे निकले और कहा कि इस वैक्सीन के ट्रायल का अभी तीसरा चरण बाकी है इसलिए ये जल्दबाजी लोगो के लिए खतरनाक हो सकती है।
अरे शशि थरूर जी जब वैक्सीन नही आ रही थी तब आप देरी से आने का विरोध कर रहे थे और अब आ गयी तो जल्दी क्यों आ गयी।
वैसे आपकी ये बात कांग्रेस पार्टी में सही तरीके से लागू होती है क्योंकि वहाँ जल्दबाजी भी हो गयी और वो जल्दबाजी कांग्रेस के लिए खतरनाक भी साबित हो गयी है।
इन सब के बीच मनीष तिवारी जी कहाँ पीछे रहते, वो भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से शिक्षित है, उन्होंने कहा है कि सिर्फ आत्मनिर्भर भारत को प्रमोट करने के लिए वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है।
तिवारी जी आप कहाँ इन चक्कर में फंस रहे है, आप तो फिलहाल डूबती कांग्रेस को प्रमोट करने का सोचिए।
चलिए ये तो बात हो गयी वैक्सीन का विरोध करने वालों की जिन्हें वास्तव में कुछ नही पता, सिवाय एक बात के मोदीजी का विरोध।
अब बात करते है उनकी जो सच में इस फैसले की महत्ता को समझते है और जो भाजपा या संघ से भी सम्बन्ध नही रखते।
WHO के द्वारा भारत सरकार के इस कदम की सराहना की गई है और भारत सरकार को धन्यवाद दिया गया है।
अब ये मोदीविरोधी लोग शायद WHO को भी भाजपा की संस्था बता सकते है।
इसी तरह बिल गेट्स ने भी इस कदम के लिए भारत सरकार और वैज्ञानिकों की तारीफ की है, जबकि बिल गेट्स तो संघ से भी नही जुड़े है।
कुल मिलाकर निष्कर्ष ये है कि देश में विपक्ष इस हद तक मोदीजी के विरोध में पागल हो चुका है कि अब विपक्ष को इस देश और इस देश के नागरिकों की भी चिंता नही रही है। इन्हें मतलब है सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने से, चाहे वो अनुच्छेद 370 हो, CAA कानून हो, श्रीराम मंदिर निर्माण हो, नए कृषि कानून हो या अब ये वैक्सीन का मुद्दा हो, इन सब मुद्दों का ये बिना किसी तर्क के विरोध करते है और जो बिना तर्क के विरोध करे उसे दुनिया की नज़र में पागलपन ही कहा जाता है।
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