ये इस्लामी मुल्क स्टाइल धरना प्रदर्शन है और मोदी को मिले बहुमत का दादागीरी से दमन है। जब से हिंदुत्ववादियों की सरकार सत्ता में आई है धरना प्रदर्शन का एक नया ट्रेंड देखने को मिला है। ये ट्रेंड है… धरना लंबा खींचो… सड़कों को जाम करो… लोगों को परेशान करो और सरकार पर लाठीचार्ज या गोलियां बरसाने का दबाव डालो। ये ट्रेंड पूरा इस्लामी मुल्कों और मिडिल ईस्ट के देशों से इम्पोर्ट (आयातित) किया गया है। इसकी शुरुआत हुई थी तहरीर चौक से…. तहरीर चौक के बाद पूरे मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के मुस्लिम देशों में जैस्मिन रिवॉल्यूशन हुआ और बड़े बड़े तानाशाहों की सत्ता उखड़ गई । इसके बाद तहरीर चौक टाइप का प्रोटेस्ट पाकिस्तान के नेताओं ने भी इंपोर्ट कर लिया । पाकिस्तान में भी बार-बार इस तरह के धरना प्रदर्शन होते हैं जब एक एक महीने के लिए पार्टियों के नेता इस्लामाबाद घेरकर बैठ जाते हैं।भारत में भी शाहीनबाग में तहरीर चौक से ही प्रेरणा ली गई थी ।


 विरोध प्रदर्शन तो अन्ना हजारे ने भी किया था लेकिन वो प्रदर्शन रामलीला मैदान में था… उसमें अनशन था… अनशन टूटा तो आंदोलन खत्म लेकिन तहरीर चौक टाइप के आंदोलन देश को अराजकता में धकेलने के लिए किए जाते हैं। इस वक्त दिल्ली में भी किसानों के प्रदर्शन पर ऐसे ही विपक्षी दलों ने कंट्रोल कर लिया है जो मोदी को मिले बहुमत का दादागीरी से दमन करना चाहते हैं । 


चाहे धारा 370 हटानी हो या राफेल खरीदने हो, राम मंदिर का शिलान्यास हो या CAA कानून हो, सरकार के हर छोटे बड़े निर्णय पर सुप्रीमकोर्ट भागने वाली PIL गैंग के पंटरों ने कृषि सुधार कानून के विरुद्ध कोई PIL नहीं लगाई।क्यों? क्योंकि पता है जब कोर्ट में सुनवाई होगी तो नए कृषि कानूनों का सच सामने आ जाएगा और फर्जी विरोध की धज्जियाँ उड़ जाएंगी। इसलिए बिना कोर्ट जाए, ये गैंग सिर्फ आधी अधूरी बात करके किसानों को भड़का रहा है।इस गैंग को उम्मीद है कि शायद अब मोदी सरकार गिर जाए, और उनका 6 साल से चल रहा षड्यंत्र सफल हो जाये!

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