जब संचार जगत भी हर हाल अद्यतित होकर अपना जिगरा बोले तो थ्री जी से फोर जी , फिर अब उससे आगे बढ़ कर फाइव जी होता जा रहा है तो फिर अपना ये आंदोलन , प्रदर्शन , धरना आदि भी क्यों न अपडेटेड हो। गर्व से सीना लहालोट हो उठता है जब देखते हैं हमारे किसान , जो सरकार से अपनी जमीन से जुड़ाव लगाव की खातिर पिछले दो महीने से अपने ट्रक , ट्र्रैक्टर , टी वी , फ्रिज , फुट मसाजर , पिज़्ज़ा मेकर आदि जैसे तमाम कृषि औजारों के साथ शासन प्रशासन से दो दो हाथ करने के लिए डटे हुए हैं।
बारिश , सर्दी , मीडिया और मोदी , इतने सारे शत्रुओं से घिरे हमारे ये जाबाँज , किसी भी सूरत में कहीं से भी कैसे भी कमज़ोर न पड़ने पाएं इसके लिए देश विदेश तक से नारे और प्यारे आयात हो रहे हैं। करोड़ करोड़ रुपए की तो गुल्लक फोड़ दी जा रही है , बताइये भला कैसे न दूर गरीबी किसानों की।
दिल्ली हरियाणा सीमा पर पिछले कुछ समय से गजब आंदोलन चल रहा है अब तो शाम को टीवी पर उनके कबड्डी और बैडमिंटन के मैच भी दिखाते हैं , जिम ,मसाज सब तो पहले से ही दिखाते रहे हैं। लेकिन कहते हैं न जहाँ चाह वहाँ राह , इस बढ़ती सर्दी और बारिश वाली ठण्ड में आसपास के दारु के ठेकों का बड़ा सहारा है।
अब यूँ किसी पर भी निशाना साधना बड़ा ही आसान काम है ये तो वे ही जाने जिनके ऊपर ग़मों का पहाड़ टूट पड़ा है ऐसे में गम को गारत करने का पुराना साथी सुरा ही रही है तो वे करें भी तो क्या करें ? उन्हें जरूर किसी ने कह दिया है कि अल्कोहल को देख कर कोरोना दूर रहता है ?? लेकिन आंदोलन के जोश में वे बोतलों के ढक्कन जहाँ तहाँ फेंक कर एक अलग ही तरह की क्रान्ति फैला दे रहे हैं जे गजब बात हो रई ए।
दौर पे दौर चल रहे हैं -अरे बातचीत के दौर भई , साथ ही ट्विट्टर पर चित्र विचित्र तरह के ट्रेंड भी खूब चल रहे हैं और ये असली वाले वाले भी। वर्ष 2020 से लेकर 2021 का तक का ये रंगारंग आंदोलन भी जरूर याद रखा जाना चाहिए।
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