जे बात ! अब हुई न जाकर कुछ इंटरनेशनल लेवल की। ये भला क्या बात हुई कि , दलजीत दोसांझ जैसे दो चार गवैये बजैये ही अपनी ढोलक तबला और गुल्लक , पंजाब के ट्रैक्टर पर टाँग कर दिल्ली सीमा की सड़कों पर पिछले दो ढाई महीने से करतब दिखाते रहे। कनेडा के सारे मित्तर जरूर अंदर ही अंदर अपने खालिस्तानी सपनों को पूरा करने के लिए डॉलर से लेकर फुट मसाज तक मुहैया कराते रहे।

शायद ये मसाज और कंसर्ट वैगेरह की रंगारंग वीडियोज़ , फेसबुक लाईव और ट्विट्टर टाईमलाईन का ही वो ट्रेलर रहा जिसे देखकर , ट्रॉल करने के लिए वेल्ले बैठे कुछ विदेशी भी अपने जलवे जुलूस दिखाने को उचक उचक कर इस तथाकथित आंदोलन के समर्थन में अपना सुर मिलाने लगे।

सबसे पहले जस्टिन ट्रूडो : वो कनेडाई प्रधानमंत्री जिसने विश्व व्यापार संगठन में सबसे ज्यादा बार और सबसे अधिक मुखर होकर भारतीय किसानों द्वारा वर्षों से उगाई और उपयोग में लाई जाने वाली कृषि उत्पादों , बासमती , नीम ,हल्दी आदि के पेटेंट की दावेदारी का विरोध किया और अब भी करता है। बकौल उसके वो भारतीय किसानों के इस आंदोलन के साथ है। आगे इस समर्थन और विरोध का अंदाज़ा खुद ही लगा लें।

ग्रेटा थन्बर्ग : एक बालिका जिसे आठवीं कक्षा में ही ऐसे ही किसी युट्यूब , ट्विट्टर ने जलवायु परिवर्तन के लिए स्कूल में हड़ताल करने का घनघोर आइडिया दे दिया और सोशल मीडिया में रातों रात प्रसिद्ध पाने के इस अचूक फार्मूले ने उसे विश्व फलक पर एक पहचान दे दी। अनेक बार प्लास्टिक और अन्य ऐसे ही उत्पादों का जम कर उपयोग करती हुई इनकी फोटो वीडियो को इन्हें ही दिखाकर लोगों ने इनके पर्यावरण प्रेम की ऐसी ही पोल खोल दी जैसे कोई मुर्गे की टांग चबाते हुए खुद को “पशु पक्षी “प्रेमी घोषित करता है। भारत , भारत के किसान , मिटटी , जलवायु से कहीं दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं , कोई अता पता भी नहीं। ट्विट्टर पर किसी ने हुशश कर दिया तो भौंक दिया।

मियाँ खलीफा : बस एक इन्हीं की कसर रह भी गई थी इन उपद्रवियों , खालिस्तानियों और लालकिले पर हुड़दंग मचा कर सेल्फी पोस्ट करने वाले तथाकथित किसानों के साथ देने के लिए। पोर्न स्टार के रूप में दुनिया भर में सिर्फ नग्नता और अश्लीलता परोसती मियाँ जी की खलीफाई का लोहा तो पूरी दुनिया का पोर्न जगत मानता ही था। उनके समर्थन से किसान आंदोलन जो पहले से ही नंगा हो चुका था , उसकी बची खुची लाज भी उतर गई और वो भी एकदम नग्न हो गया है।

इनके अलावा रेहाना और इनके जैसे और भी बाकी जो बेसुरा राग ट्विट्टर पर अलापने बैठे हैं वो शायद भूल रहे हैं कि वो दिन लद गए जब तर्जनी दिखाने से लौकी की बतिया सड़ जाने का डर दिखाकर , विदेशी ताकतें भारत को दबाव में लाकर मनमानी किया करती थीं। अब ये नया भारत है जो न दंगो से डरेगा न ही नंगों से।

तो ट्विट्टर हो , फेसबुक हो या तुम्हारा भौंपू बीबीसी और एनडीटीवी , या फिर दिल्ली सीमा की सड़क , कहीं भी लोट लो , कितना भी अपने अपने बोनट घिस लो , कितने ही प्रपंच , षड्यंत्र रच लो मगर एक बात बार बार अपने कान खोल कर सुन लो। ये कानून , और भारत सरकार द्वारा लाया ,लागू किया हुआ कोई भी कानून वापस नहीं होगा , नहीं होगा और कभी नहीं होगा। – mind it

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