रुपेश पांडेय की खबर बताने से पहले एक सवाल आप सभी से क्या रुपेश पांडेय याद है आपको? यकीनन कई लोग अपना सिर खुजलाने लगेंगे तो कई लोग Google कर के सर्च करने लगेंगे. वैसे देखा जाए तो क्यों याद रखे कोई रुपेश को वो किसी का लगता क्या था, किसी को क्या फर्क पड़ता है कि उसकी हत्या के आरोपी खुलेआम सड़कों पर फिर से घूमने लगेंगे. अगर किसी को फर्क पड़ता है तो वो है रूपेश की मां जो अपने कलेजे के टुकड़े का शव लिये बेसुध अनशन पर बैठ गई थी. ताकि अपराधियों को सजा दिला सके और अपने मरे हुए बेटे को न्याय दिली सके, फर्क उन लोगों को पड़ता है जिन्होंने बिना किसी खून के रिश्ते के रुपेश के जाने के बाद भी उसके परिवार का सहारा बनने की कोशिश की, फर्क पड़ता है हर उस हिंदु को जिसने रुपेश को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठाई थी. लेकिन कुछ लोगों के लिए रुपेश को न्याय दिलाना महज खानपूर्ति बनकर रह गयी. कागजी कार्यवाही बन कर रह गई.

दरअसल रुपेश हत्याकांड से जुड़े पांच आरोपियों को हजारीबाग कोर्ट से जमानत मिल गई. सीबीआई के 90 दिनों तक चार्जशीट जमा नहीं करने के कारण बरही रूपेश पांडे मॉब लिंचिंग मामले में सभी पांच आरोपियों को न्यायिक दंडाधिकारी मरियम हेंब्रम के कोर्ट ने जमानत दे दी.

बता दें आपको जस्टिस फॉर रूपेश पांडे को लेकर मुहिम छेड़ा गया था. जांच को लेकर पुलिस पर भी काफी दबाव था। हजारीबाग के बरही में विसर्जन जुलूस के दौरान उन्मादी भीड़ द्वारा रूपेश पांडेय की हत्या के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई भी हुई थी। सुनवाई के बाद जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया था। अदालत ने माना कि इस मामले में प्रशासन आरोपियों को बचा रही है। पुलिस की जांच संतोषजनक नहीं है, इसलिए मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है। अदालत ने हजारीबाग एसपी को इस मामले से संबंधित दस्तावेज जल्द सीबीआई को सौंपने का निर्देश भी दिया था। वहीं इस मामले की गंभीरता को देखते हुए NCPCR की टीम ने भी बरही का दौरा किया था, पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी और साथ ही परिवार को न्याय मिलने का आश्वासन भी दिया था.

लेकिन विडंबना देखिए इस घटना को लेकर कहीं कोई हल्ला नहीं मचा? कहीं प्रदर्शन नहीं हुए? लेकिन ठीक इसी जगह पर कोई रुपेश पांडेय न होकर रूहेल खान के साथ ये सब हुआ होता, तब स्थिति कुछ और ही होती।

जिस समय रुपेश पांडेय की हत्या हुई थी उसके बाद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले हिंदुओं ने भी परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाए जिसके बाद 15 लाख रुपये रुपेश की मां के खाते में पहुंचाए गए. लेकिन दुखद है कि आज भी एक अभागी मां बेटे को न्याय मिलने का इंतजार कर रही है .

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