23 मार्च!भगत सिंह, राजगुरु,सुखदेव बलिदान दिवस! देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में जिन वीर सपूतों ने भारत माँ की गोद में अपने आपको न्योछावर किया उनमें भगतसिंह,राजगुरु एवं सुखदेव का स्थान अतुलनीय है! अपनी जान को हंसते- हंसते देश के लिए बलिदान कर देने वाले इन वीर सूपतों को 23 मार्च 1931 के दिन अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था।


यद्यपि इन वीर सपूतों को 24 मार्च को फांसी होनी थी,लेकिन इन तीनों की फांसी से देश भर में उत्पन्न हुए गुस्से को भांपकर फांसी की सजा की तारीख में बदलाव करके एक दिन पहले यानी 23 मार्च को ही फांसी दे दी गई।भले ही भारत में गांधी, नेहरू की कृत्रिम छवि ने क्रांतिकारियों को यथेष्ट स्थान नहीं दिया है, लेकिन पाकिस्तान के लाहौर में भगतसिंह मेमोरियल फाऊंडेशन है, और लाहौर हाईकोर्ट ने 2017 में एक आदेश में कहा था, कि उन लोगों को सुरक्षा दी जाए जो भगतसिंह, राजगुरू एवं सुखदेव का शहीदी दिवस मनाना चाहते हैं! प्रतिवर्ष लाहौर के शादमन चौक पर शहीदी दिवस का आयोजन होता है,यही वह जगह है, जहाँ भगतसिंह और उसके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी! 2018 में इस चौक का नाम भगतसिंह चौक कर दिया गया है!

आओ झुककर अभिवादन करें उनको, जिनके हिस्से में ये देखो अवसर आता है! खुशनसीब होते हैं, वे लोग जिनका खून देश के काम आता है!
विनम्र ऋद्धांजलि!

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