ल्यो , देख लो तमाशा ! कभी भाजपा की वैक्सीन है , अम्बानी अडानी के पैसों और उनकी फैक्ट्री में बनी है , भाजपा वालों की वैक्सीन पर विश्वास नहीं है जाने कौन कौन से स्यापे और प्रपंच फैलाने वालों को अब वैक्सीन चईये ही चईये और इतनी जोर की चईये कि , सब के सब एक सुर से हल्ला कर रहे हैं , ट्विटर पर ट्रेंड चला रहे हैं कि _ भैया जी , हमें भी तो सुई भोंक दो।

हालाँकि इस बात पर सबकी पहली प्रतिक्रिया यही है कि , NIA वालों ने पिछले कुछ दिनों में वाजे , परमबीर ,देशमुख , पवार सबको जो एक एक करके सुई भोंकी और ठोकी है वो क्या पूरी नहीं पड़ रही है। सुई तो छोड़िये कभी नारकोटिक्स तो कभी सीबीआई तो कभी NIA सभी विशेषज्ञ डाक्टरों ने पिछले दिनों पूरे महाराष्ट्र में चल रहे , ह्त्या , लूट , ड्रग्स और अब ये हफ्तावसूली की सारी बीमारियों का ईलाज करते हुए पूरा का पूरा पोस्टमॉर्टम कर तो दिया है तो फिर अब ये सूई मुई का क्या रोना धोना जी।

जबसे नौटी अंकल संजय जी ने अपनी मधुर वाणी और पैनी कलम से अपने घर के अखबार में इन सब चिरकुटई का “सामना ” करना छोड़ दिया है जिसको देखो वही चिट्ठी लिख दे रहा है और लिख क्या रहा है पूरी की पूरी थीसिस , पूरा प्रोसेस , प्रोसीज़र , टारगेट सब कुछ लिख दे रहा है खुल्ल्म खुल्ला। जे कोई बात हुई। अब यही बात जब कोई चैनल वाला जोर जोर से टीवी पर ” पूछता है _____ ” कह कर बोलता था तो उसे उसके कैमरा को उसके स्टूडियो को सबको बुलडोज़र का डर दिखा दिया जाता था।

लेकिन खैर , ये मसला अलग है। ये कोरोना की बात है अरे वही कोरोना जिसके लिए “बातोश्री ” और उनके अंग्रेजी बत्तख (पेंगुंइन रे ) पुत्तरू ने पहले ही कह दिया था – तुमचा अपना अपना देखो रे , तुमची फैमिली ,तुमची जिम्मेदारी – समझला काय। अब पब्लिक तो पब्लिक ठहरी उन्होंने सब कुछ उतार कर अंदर का सारा कोरोना बाहर बिखेर दिया। अब समेट लो जिनको समेटना है।

इनके ही परम बिरादर , वो दिल्ली वाले सड़ जी ने भी ऐसे ही कोरोना काल में एक से एक स्टंट किए मगर हालत बेकाबू होते देख सीधे गृह मंत्रालय की शरण में पहुँच कर बोले , इसे जल्दी से संभालिये , ताकि मामला ठीक होते ही हम अपने प्रचार का काम शुरू करें। देखिये क्या चकाचक चमक रहे हैं चारों तरफ कि मुहल्ला क्लिनिक में पटक पटक कर मारा इस कोरोने को।

तो अब स्थिति ये है कि , महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री जी ने , नहीं नहीं कोई चिट्ठी नहीं लिखी है , हो सकता है वे बाद में लिखें , मगर फिलहाल तो वे बस यही रोना रो रहे हैं कि भाजपा वाले अपना भोकासिन सबको दे रहे हैं बस हमसे ही नाराज़ चल रिए हैं। गैरों पे करम , अपनों पे सितम ऐ जाने वफ़ा ये जुल्म न कर।

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