योग जो देता है मन की शांति और स्वस्थ जीवन!

बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, स्वामी विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लिया, भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता की दिव्य गुड़ी का निर्माण किया और भारत की गौरवशाली और वैभवशाली संस्कृति की खरी पहचान पूरी दुनिया को करवा कर दी । योग का महत्व, जो हमारी गौरवशाली संस्कृति का हिस्सा है, अब दुनिया भर के अन्य देशों द्वारा महसूस किया जाता है। 21 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। जहां एक साल से अधिक समय से पूरी दुनिया कोरोना से त्रस्त है, वहीं आयुर्वेद, योग और प्राणायाम को अपनाकर कई लोग कोरोना से उबरने में सफल रहे हैं। इस लेख में, हम योग के कई लाभों पर एक नज़र डालेंगे, जो आपको मन की शांति और स्वस्थ जीवन प्रदान कर सकते हैं।

विश्व को मन की शांति और रोग मुक्त जीवन प्रदान करने वाला योग!

भारतीय ऋषियों के दिव्य चिंतन और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से खोजा गया, यह योग एक दिव्य उपहार है जो धर्म, जाति या लिंग की परवाह किए बिना सभी मानव जाति के कल्याण की तलाश करता है। यह योग का विज्ञान है, जो संसार की भट्टी में जले हुए लोगों को मन की शांति देता है, पीड़ितों को शारीरिक और मानसिक ताप से मुक्त करता है। यह एक अमूल्य खजाना है जिसे हमारे परोपकारी पूर्वजों ने विश्व कल्याण के लिए सहेज कर रखा है। हम इस अनमोल खजाने के वारिस हैं और यह हमारा सौभाग्य है कि हम इस योग भूमि में पैदा हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश भारतीय अभी भी योग से दूर हैं। हालांकि, दुनिया के अन्य देशों ने इस योग खजाने का पूरा फायदा उठाया है और ले रहे हैं। पश्चिमी देशों में सुखवाद, भौतिकवाद और कई अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग मन की शांति और स्वस्थ जीवन चाहते हैं। इसके लिए पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद की नजर से देख रही है। क्योंकि कोई भी देश भारत के बिना दुनिया को मन की शांति और रोग मुक्त जीवन प्रदान नहीं कर सकता, जो योग के लिए रामबाण है। विदेशी पंडितों ने महसूस किया है कि भारतीय योग में इतनी बड़ी दिव्य शक्ति और क्षमता है।

योग अभ्यास में कमजोर शरीर की क्षमता को बढ़ाने की क्षमता होना

रासायनिक जहरीले उर्वरकों और कीटनाशकों का छिड़काव करके उगाए गए अनाज, फल, सब्जियां आदि खाने से व्यक्ति का अपना शरीर धीरे-धीरे बिना जाने ही संक्रमित हो रहा है। अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि इसके परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक और मानसिक कमजोरी बढ़ गई है। ऐसे समय में यह योग बहुत उपयोगी होता है। इस योगाभ्यास में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर कमजोर शरीर की कार्यक्षमता को बढ़ाने की शक्ति है।

शरीर एक पवित्र ‘यज्ञकुंड’ है और इसकी पवित्रता को बनाए रखना चाहिए।

शरीर ही एक पवित्र ‘यज्ञकुंड’ है। कोई भी व्यक्ति इस यज्ञ कुंड की उदर अग्नि में मांस, शराब, तंबाकू, फास्ट फूड आदि फेंक कर (अर्थात खाकर ) इस पवित्र यज्ञ को अपवित्र नहीं करना चाहिए। ऐसा करने वाले लोगों द्वारा की गई योगसाधना सफल नहीं होती है। ‘मोक्ष’ मानव शरीर का अंतिम लक्ष्य है। परम भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए, मोक्ष की स्थिति प्राप्त करने के लिए, योगी को चाहिए कि वह अपने आचरण, विचारों और कथनों के माध्यम से इस पवित्र यज्ञ कुंड की पवित्रता बनाए रखे।

योगी हो कर परोपकारी और पारमार्थिक जीवन जीने में नरजन्म का कल्याण है ।

‘योग’ शब्द का अर्थ है ‘अपने अंदर के जीवात्मा को चराचर में विद्यमान  परमात्मा से मिलाना, विलीन होना या एकरुप होना।’ इस सृष्टि में 84 लाख योनि (जीवित प्राणी) को निर्माता भगवान से ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है। इसलिए आप-हम सब आज तक जीवित हैं। इस ऊर्जा को ‘जीवात्मा-अंशात्मा’ कहते हैं। अपने सुखवादी रवैये, ‘मैं’ के अहंकार, भक्ति की कमी के कारण, हम अपने शरीर में इस दिव्य शक्ति, अपने शरीर चालक को भूल गए हैं। योग के माध्यम से, योगी को याद दिलाया जाता है कि ‘हम सर्वोच्च भगवान के अंश हैं’। इस योगसाधना में स्वयं को और दूसरों को भी प्रकाशित करने की दिव्य शक्ति है। एक भोगी के रूप में एक बीमार जीवन जीने के बजाय, एक योगी के रूप में एक परोपकारी और पारलौकिक जीवन जीने में अधिक सार्थक है। यह सब प्राप्त करने के लिए योगी को किसी अनुभवी योग शिक्षक के मार्गदर्शन में योग का अभ्यास करना चाहिए।

योग के माध्यम से आध्यात्मिक दृष्टि और देशभक्ति से ओतप्रोत भूमिपुत्र निर्माण होना ।

यदि हम भारत को गौरवशाली, वैभवशाली, संस्कारी, रोगमुक्त, स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और जगद्गुरु पद की उपाधि के योग्य बनाना चाहते हैं, तो आवश्यक गुण, दीप्तिमान विचारधारा, ईश्वर-धर्म, देश, संस्कृति, आस्था, आध्यात्मिक दृष्टि और राष्ट्र भक्ति इन से युक्त भूमीपूत्र इस ‘योग’ साधना से मिलने वाले हैं ।

ऐसे इस शारीरिक और मानसिक बीमारियों से सफलतापूर्वक मुक्त करने वाली, जो कोरोना जैसे वायरस का सफलतापूर्वक विरोध करने वाली,  मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य प्राप्त कर के , जीव-शिव का मिलन करने वाली, जगद्गुरु पाद की मनोकामना पूर्ण करने वाली इस सर्व गुण संपन्न योग विद्या का देश विदेश में निष्काम वृत्ति से प्रसार-प्रचार करने वाले सर्व भारतीय संस्था,योगाचार्य,योग साधक और योग कार्य में तन-मन-धन से योगदान देनेवाले हितचिंतक इनका योग दिवस के अवसर पर अभिनंदन ! योग दिवस की बधाई !    

श्री. चेतन राजहंस,राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

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