जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार पहले से बहुत अधिक संवेदनशील , क्रियाशील और सुनियोजित रही है और धारा ३७० की समाप्ति के बाद तो ये अपने चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो अटूट सहयोगियों अमित शाह और अजित डोभाल के साथ टीम बना कर लगातार जम्मू कश्मीर और सीमा की सारी गड़बड़ियों को सिरे से पहचान कर उसे स्थाई रूप से दुरुस्त करने की योजना को कार्यरूप दे रहे हैं।

बार बार गुपकार गैंग अपनी तिलमिलाहट और गुस्सा इस बात पर ज़ाहिर करता भी रहा है कि किस तरह से केंद्र सरकार ने उन सबको दरकिनार करके प्रदेश में विकास की , कानून व्यवस्था की एक नई दिशा पकड़ ली है। पहले सरकार ने धारा 370 जैसी विभेदकारी नीति और अनुच्छेद को निकाल बाहर किया। इसके कुछ दिनों बाद ही जम्मू कश्मीर राज्य सरकार के अधीन सारे भूक्षेत्र के अनाप शनाप आवंटन करने के उद्देश्य से लाए गए रौशनी एक्ट की समाप्ति , व्यापारी जो आतंकियों की मदद किया करते थे उन सबकी पहचान और गिरफ्तारी के बाद अब। सरकार की नौकरी की आड़ में देश द्रोहियों और आतंकियों का साथ देने वालों की पहचान कर उनके तशरीफ़ पर लात मार कर बाहर का रास्ता दिखाया गया है।

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न्यूज़ 18 की एक खबर के मुताबिक हाल ही में राज्य सरकार ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए , सरकार के विभिन्न हलकों में कार्यरत उन तमाम भेदियों ,देशद्रोहियों की पहचान करके उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है जो पिछले कुछ समय से अपनी सेवा की आड़ में उपलब्ध मौकों को भुना कर आतंकयों और दुश्मनों तक सूचनाएं पहुंचाने का काम कर रहे थे।

कोई अर्दली के पद पर तैनात था तो कोई शिक्षक , कई तो खुद पुलिस की वर्दी पहने होने के बावजूद भी अंदर से आतंकयों और अलगाववादियों से मिले हुए थे और न सिर्फ मिले हुए बल्कि बहुत से आतंकी घटनाओं व साजिश का हिस्सा भी थे। लशकरे तैयबा और जमायते इस्लामी जैसे चरमपंथी संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े ये सभी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए गए। नशे के सौदागर से से लेकर हथियार की तस्करी तक , सेना और संगठनों से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियाँ चरमपंथियों को पहुचाने में और बहुत बार प्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी आतंकी घटना के अंजाम के सहयोगी रहे थे।

इनमे से 4 शिक्षा विभाग में ,दो जम्मू कश्मीर पुलिस में , तथा अन्य लोग कृषि , स्किल डेवलपमेंट , और स्वास्थ्य तथा अन्य विभाग में कार्य कर रहे थे। इन सबके विरुद्ध प्रशासकीय कार्रवाई के साथ साथ फौजदारी कानूनों के तहत भी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।

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