ये लेख आज से १ वर्ष पूर्व ०५ अगस्त के सौभाग्यशाली अवसर पर लिखा गया था, उम्मीद है आप सभी पाठकों के मन में भी उसी प्रकार का असीम आनंद उत्पन्न होगा जिस प्रकार ये लेख लिखते समय मुझे हुआ था। प्रभु श्रीराम का मंदिर मात्र एक मंदिर नही बल्कि ये तो ४९१ वर्षों के युद्ध में महान विजय का प्रतीक है।

तिथि :- ०५ अगस्त २०२०, बुधवार
( भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया, संवत २०७७ )
स्थान :- जहाँ अभी आप उपस्थित है।
समय :- जिस समय आप इसे पढ़ रहे है।

आख़िरकार वो महान शुभ घड़ी आ ही गयी जिसका इंतज़ार भारत देश के हर एक सच्चे श्रीरामभक्त को ४९१ वर्षों से था। ये शुभ घड़ी कहने को तो मात्र ३२ सैकंड की है लेकिन इस ३२ सैकंड के क्षण की प्रतीक्षा में ना जाने कितनी शताब्दियाँ, कितने दशक बीत गए तब जाकर आज इस महान सौभाग्यशाली क्षण को देखने का अवसर हम सब को प्राप्त हुआ है।

आराध्य प्रभु श्रीराम के मन्दिर का शिलान्यास सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नही है बल्कि ये तो धर्म और अधर्म के मध्य सैकड़ों वर्षों से चल रहे युद्ध का सुखद परिणाम है।

इस युद्ध रूपी महायज्ञ में अनगिनत बार अधर्म शक्तियों को विजयी बनाने के लिए घटिया साजिशें रची गयी,
अनेकों बार सत्य का दमन कर असत्य का साथ दिया गया, बार बार प्रभु श्रीराम के अस्तित्व के सबूत न्यायालय में देने पड़े, लेकिन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरित मानस” के बालकांड खण्ड में एक दोहा वर्णित है जो सारी अधर्म शक्तियों पर भारी पड़ता है, वो दोहा है –

          ।।"होइहि सोइ जो राम रचि राखा"।।
   अर्थात् :- जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा।

इस महायज्ञ की पूर्ण आहुति में वो ही हुआ जो प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन में भी आदर्श रूप में ग्रहण किया था – अधर्म शक्तियों पर धर्म की विजय।

०८ नवम्बर २०१९ को जब उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आया तो उन समस्त अधर्म शक्तियों का नाश हो रहा था जो इस महान कार्य में बाधा बनी हुई थी।
जब वो निर्णय आया तो मन में असीम शांति और आनंद का अनुभव हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि प्रभु श्रीराम ने अधर्म शक्तियों के रावण पर विजय प्राप्त कर ली और पुनः अयोध्या लौट रहे है।

आज ०५ अगस्त २०२० को एक बार फिर उसी शांति और आनंद का अनुभव दोगुने रूप में हो रहा है जब प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की शुभ घड़ी आ चुकी है।
ये सिर्फ एक मन्दिर का शिलान्यास नही हो रहा है अपितु ४९१ वर्षो से दमन झेल रहे हिन्दू धर्म एवं समाज का पुनर्जागरण हो रहा है जिसके पूर्ण रूप से जागरण का परिणाम एक हिन्दू राष्ट्र होगा।

आज इस महान ऐतिहासिक दिन पर उन समस्त रामभक्त कारसेवकों को कोटि कोटि प्रणाम जिन्होंने अपना जीवन इस पुनीत कार्य हेतु समर्पित कर दिया और जिनकी वजह से आज हम सभी ये सौभाग्यशाली दृश्य देख पा रहे है।

साथ ही आप सभी रामभक्तों को भी साधुवाद एवं शुभकामनाएं क्योंकि इतने वर्षों के पश्चात प्राप्त हुई विजय को आपने भी बड़े ही धैर्य और मर्यादा के साथ धारण किया है जिसकी कल्पना शायद विरोधियों को भी नही थी।

अंत में अपनी बात समाप्त करते हुए –
“रामलला हम आ रहे है
मन्दिर वही बना रहे है।”
आप सभी को श्रीरामभक्त आयुष की तरफ से करबद्ध –
●●●●●●●●●●●”जय श्रीराम”●●●●●●●●●●●
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