जैसे जैसे वक़्त गुजर रहा है वैसे वैसे बेंगलुरु दंगो के नए नए पहलू सामने निकल कर आ रहे है। काँग्रेस विद्यायक अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के रिश्तेदार नवीन के एक फेसबुक पोस्ट की प्रतिक्रिया में पूरे बेंगलुरु शहर को जला कर राख कर दिया। आखिर उस फेसबुक पोस्ट की सच्चाई क्या थी? उसकी हकीकत ये थी की नवीन ने वो पोस्ट एक दूसरे पोस्ट की प्रतिक्रिया में किया था जी हाँ हिन्दू देवी दवताओं पर किये एक अश्लील पोस्ट पर नवीन ने एक पोस्ट किया जिसमें पैंगम्बर मोहम्मद साहब एक बच्ची के साथ निकाह की रात में बैठे  है, ओर हाँ मुस्लिम समुदाय में आज भी ऐसी कुप्रथाएं है जिससे  मुस्लिम बच्चियों एवं महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता रहा है जिसमे हलाला, तीन तलाक आदि मुख्य है।

इसी क्रिया प्रतिक्रिया मे ही बेंगलुरु को कुछ ही घंटों में खाक कर दिया गया। ये फ़ेसबुक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा इस्लाम के रक्षको ने अपनी कौम को संदेश दिया कि अब इस देश में इस्लाम खतरे में आ गया है, मुस्लिम समुदाय के लोगो को एकजुट होने की सूचना मिली और कुछ ही समय में पूरे शहर में हजारों की संख्या में लोग सडको पर एकत्रित हो गए, उग्र होकर अल्ला हु अकबर के नारे लगाने लगे। जब पुलिसकर्मियों ने भीड़ को काबू करने की कोशिश की तो पुलिस पर ही हमला बोल दिया साथ ही साथ पुलिस थाने को ही तहस नहस कर दिया जिस दौरान 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गये एवं पूरा शहर आग-आग, धुंआ-धुंआ होने लग गया। इतने कम समय में हजारों लोगों का अलग-अलग जगह एकत्रित होना अचानक से संभव नही है, इन दंगो में दिल्ली दंगो की तरह ही योजना बद्ध तरीक़े से अंजाम देने की मंशा साफ नजर आती है।

प्रॉफेट साहब पर एक टिप्पणी पर इतना हंगामा करने वाले जरा याद करे कुछ वक़्त पहले की धटनाओं पर ध्यान आकर्षित करे,

  • जब कॉमेडी कलाकार सुरलीन कौर ने एक शो में ISKCON मंदिर एवं कृष्ण भक्तो पर अश्लील फब्तियां कशी, पर बाद में उनके माफी मांगने के बाद मुद्दा शांत हो गया।
  • इसके अलावा देखे तो असम में एक प्रोफेसर से भगवान राम पर अश्लील टिप्पणी की उसे बाद एक कार्यकर्ता ने  पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, परन्तु देश में कही भी न कोई धर्म खतरे मे आया न ही कहीं दंगे हुए।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में वामपंथियों ने भी माँ दुर्गा की नंगी तस्वीर का पोस्टर बनाया जब इसका ABVP के कार्यकर्ताओ ने विरोध किया तो चित्र हटा लिया गया मामला शांत हो गया।
  • दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वामपंथी प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर माँ दुर्गा को वैश्या तक कह दिया था न जाने कितने अनगिनत टिप्पणियां हिन्दू धर्म पर की जा चुकी है।

अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर  हिन्दू देवीयो के अश्लील चित्र एवं टिप्पणियां करते  कई दूसरे धर्म के लोग दिख जाते है, उनके खिलाफ आवाज उठती है, एकाउंट रिपोर्ट होते है बस फिर हिन्दू शांत हो जाता है कहीं किसी धर्म विशेष को बुरा न लग जाए ये है क्योंकि हमारा देश सेक्युलर है ना?

एक मशहूर पेंटिंग कलाकार म.फ़. हुसैन जो हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने के मकसद को पूर्ण करने के लिए भारत छोड़ जोर्डन में जा बसा ओर लगातर वो हिन्दू देवियो के नग्न चित्र बना कर, देवताओ के अश्लील चित्र, भारत माता के नग्न चित्र बनाता था जो देख कर ही  दिल दहल जाए शर्म की बात तो यह है की आज भी वो सब अश्लील पेंटिंग्स इंटरनेट पर मिल जाती है हिन्दू कुछ नही कर पाते। पर देश के किसी भी शांतिदूत सेक्यूलर कट्टरपंथी ने इस पर एक सवाल तक किसी ने नहीं उठाया, निंदा करना तो दूर की बात है।

जब देश में आजदी से पहले 1946 में धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने की मांग उठी तब भी साम्प्रदायिक दंगे हुए आज तक वैसे ही कई बार भारत मे इस्लामिक कट्टरता के कारण दंगे हुए, दंगो का समय बदला, लोग बदले, परंतु सोच वही रही, योजना एक जैसी रही मकसद भी वही रहा कि भारत को गजवा ए हिन्द बनाना, भारत के टुकड़े टुकड़े कर देने का मंसूबे लोग पाले हुए है।

ऐसी ही योजना बेंगलुरु दंगो होने की आंशका है जो कि वक़्त आने पर जैसे दिल्ली दंगो की सच्चाई सामने आयी जल्द ही इनकी भी आने लगेगी कुछ आ भी गई है।

जिस देश मे रहते है उसी देश में दंगे करते है उसी के टुकड़े टुकड़े करने को बात करते है, उसी के धर्म को नुकसान पहुंचाते है, ये इस्लामिक वामपंथी आतंकवाद नए रूप में भारत मे स्थापित होता नजर आ रहा हैं। सेक्युलर होने का मतलब इतना ही रह गया है की हिन्दू अत्याचार सहता रहे, न कुछ बोले. न कुछ करे क्योकि कहीं दूसरे धर्म को ठेस न पहूँच जाए। दुख की बात तो यह  है इतना सब करने वाले लोग इसी देश में रहकर देश को गाली देने का पैसा भी विदेशीयों से लेते है एवं सच पर हमेशा पर्दा डालने में लग जाते  है। अब सवाल ये उठता है क्या एक धर्म समुदाय का वोट बैंक इतना बड़ा हो गया कि कोई भी राजनैतिक संगठन सच बोलने की हिम्मत तक नहीं रखता है आरोप प्र्त्यारोप की राजनीती करने लगते है एवं देश की एकता अखंडता संप्रभुता को दांव पर लगा दिया जाता है।

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