सबके कृष्ण

संसार के समस्त सिद्धांतबद्ध बुद्धिजीवियों के लिये कृष्ण बहुत परेशानी का विषय रहे हैं। मसलन –

-वामपंथी व दलित विचारको के लिये कृष्ण का काला रंग परेशानी का विषय है क्योंकि काले कृष्ण आर्य भी हैं।

-चरम अहिंसा के पुजारी जैनों को उनके द्वारा रचे महाभारत से परेशानी है ।

-गांधी की पाखंडी अहिंसा को कृष्ण द्वारा गीता में ‘युद्धाय कृत निश्चय’ के आह्वान से परेशानी है।

-स्वामी दयानंद उनके गोपीप्रेम, रास और सोलह हजार आठ विवाहों से परेशान हैं।

अर्थात…..

कृष्ण सबको चाहिये पर अपनी ‘सुविधा का कृष्ण’ चाहिये।

  • इसीलिये वामपंथी दलित विचारकों का कृष्ण तथाकथित मूल निवासियों का नेता ऋग्वेद के ‘असुर कृष्ण’ है जिसकी कृष्णवर्णी त्वचा उतारकर गौरवर्णी आर्य इंद्र ने हत्या की थी।

-इसीलिये बेचारे जैन कृष्ण को नर्कगामी बनाकर फिर उन्हें अगले कल्प का प्रथम तीर्थंकर घोषित करते हैं।

-इसीलिये गांधी शुतुरमुर्ग बनकर गीता के कृष्ण से इनकार कर ‘प्रतीकात्मक कृष्ण’ की परिकल्पना कर लेते हैं।

-स्वामी दयानंद सरस्वती भी सारे तथ्यों से आंखे बंदकर ‘किशोर कृष्ण’ के प्रेमरूप को नकारकर एकपत्नीव्रतधारी कृष्ण की कपोल कल्पना कर लेते हैं।

अब प्रश्न यह है कि मेरे जैसे करोड़ों सामान्य मनुष्यों के लिये कृष्ण क्या हैं?

हमारे लिये तो कृष्ण पंचजन आर्यों में से एक ‘यदु’ के वंशज हैं जिन्होंने ‘आभीर’ आर्यों के साथ गठबंधन कर भारत में राम द्वारा पूर्वस्थापित सामाजिक समरसता की नींव पर प्रेम और बंधुत्व का वह महालय खड़ा किया जिसे विषैले वामपंथियों का दुष्प्रचार कभी हिला नहीं सकेगा।

हमारे कृष्ण की त्वचा पर इंद्र खरोंच भी नहीं डाल सकता था और उन्होंने इंद्र को अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष दोनों युद्धों में बार बार पराजित किया। इसलिये तुम्हारा ‘कमजोर कृष्णासुर’ हमारा ‘गोविंद’ नहीं हो सकता।

हमारा कृष्ण इतना प्यारा और पुण्यात्मा भी है कि बेचारे जैन उन्हें अपना अगला तीर्थंकर बनाने पर विवश हैं।

हमारे कृष्ण को नकारने का सामर्थ्य गांधी नहीं जुटा पाते हैं इसलिये महाभारत को कल्पनामात्र कहकर भी गीता को सर्वोच्च सत्य मानने को बाध्य हैं।

हमारे कृष्ण के एक हाथ में बाँसुरी का जीवनसंगीत है तो दूसरे हाथ में प्रलयंकारी सुदर्शन।

हमारे कृष्ण एक ओर प्रेम का महासागर हैं तो दूसरी ओर योगेश्वर हैं।

हमारे लिये कृष्ण के दोंनों रूप वास्तविक हैं।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.