उत्तर प्रदेश में 2017 से पहले समाजवादी पार्टी के समय वेस्टर्न यूपी का कैराना खौफ का केंद्र बन चुका था। अपराधी मुकीम काला ने 2014 में रंगदारी ना देने पर दो भाइयों की सरे बाजार गोली मारकर हत्या कर दी थी, उससे पहले व्यापारी विनोद सिंघल की अपराधी फुरकान ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। और फिर इसके बाद कैराना में शुरू हुआ था बड़ी संख्या में व्यापारी हिंदू आबादी का पलायन… जिसकी गूंज देश की संसद में भी सुनाई पड़ी थी। 2014 में तत्कालीन बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने इस मुद्दे को देश की लोकसभा में उठाया था, तब अपराधियों के डर से 300 से ज्यादा हिंदू परिवार कैराना छोड़कर पलायन कर गए थे।

2017 में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है तभी से यह व्यापारी वापस कैराना आकर रह रहे हैं। कैराना के मुख्य बाजार में मूला पंसारी नामक दुकानदार अपने परिवार के साथ सूरत में रहा था तकरीबन 3 साल तक… 2014 से 2017 तक यह परिवार सूरत में रहा और योगी सरकार के वापस आने के बाद कैराना में अपनी दुकान चला रहा है। अभी हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने इनके घर जाकर इन लोगों से मुलाकात भी की थी।
कैराना पलायन का यह मुद्दा पूरी वेस्टर्न यूपी में बीजेपी उठा रही है और जोर शोर से बता रही है कि यदि 2017 में बीजेपी की सत्ता में वापसी नहीं होती तो अब तक वहां पर हिंदू आबादी का बड़ी संख्या में पलायन हो रहा होता। अपराधी मुकीम काला को ढेर किया जा चुका है तो वहीं दूसरी तरफ बड़ा अपराधी फुरकान इस समय योगी सरकार की गोलियों के खौफ से खुद जेल में बंद है। जाहिर है पूरे वेस्टर्न यूपी में बीजेपी इस मुद्दे को उठाने जा रही है और जनता को इस मुद्दे को समझना भी चाहिए कि जब तक योगी है तभी तक जान है।

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