पहली दो तस्वीर
बिहार के मुजफ्फरपुर में रामनवमी के जुलूस के दौरान का है, जब कुछ अति उत्साही युवाओं ने मस्जिद पर भगवा झंडा फहरा दिया.
तीसरी तस्वीर
मध्य प्रदेश के खरगौन की है, जहाँ रामनवमी के अवसर पर निकाले जा रहे जुलूस पर पथराव की घटनाओं को अंजाम दिया गया. जिन घरों से जुलूस पर पथराव की घटनाओं को अंजाम दिया गया, वो सभी घर बुलडोजर की सहायता से जमींदोज कर दिये गये हैं और सीसीटीवी की सहायता से पत्थरबाजी करने वाले 80 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है.
यह नया भारत है, जहाँ अब कांग्रेस और इससे निकली पार्टियों के द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों को बुलडोजर की भेंट चढ़ाया जा चुका है.
मुजफ्फरपुर में मस्जिद की मीनार पर भगवा लहराने की घटना पर छाती फाड़कर रोने वाले देशभर में रामनवमी के जुलूस पर पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाओं पर मुंह में दही जमाये बैठे थे.
राजस्थान और पश्चिम बंगाल में सत्ता की सहायता से हिंदुओं की भीड़ पर हमला, पत्थरबाजी और आगजनी पर इन सबकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी.
कुछ साल पहले तिरंगा यात्रा निकालने पर उत्तर प्रदेश की एक मस्जिद से चलाई गई गोली ने चंदन गुप्ता की जान ले ली थी, तब इसका बचाव करने वाले वामपंथियों का तर्क था कि मुस्लिम इलाकों से गुजरते समय प्रशासन की इजाज़त नहीं ली गई थी.
ये वही लोग हैं, जो इसाई मिशनरियों द्वारा देश के आदिवासी और आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं मुहैया कराने और पैसे देकर धर्मांतरण का बचाव करते पाए जाते हैं. गरीबों की शिक्षा, स्वास्थ्य और मुखमरी की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर है न कि किसी इसाई मिशनरीज़ पर. देश की जनसांख्यिकीय स्थिति को इसाई मिशनरीज़ ने विदेशी चंदों के बलबूते बदलकर रख दिया और तत्कालीन सरकार कान में तेल डालकर सोती रही. इसमें कांग्रेस के साथ वामपंथी दलों और उसके नेताओं की मिलीभगत रही. बदले में इन सबके बच्चों और नजदीकी रिश्तेदारों को अमेरिका, ब्रिटेन के नामीगिरामी यूनिवर्सिटी में एडमिशन और वहाँ की नागरिकता दी गई.
मदर टेरेसा ने गरीबों की सहायता के नाम पर करोड़ों हिंदुओं का धर्मांतरण कराया और सरकार चुपचाप सब देखती रही.
आज हालात बदल चुके हैं. हालांकि, जहाँ-जहाँ कांग्रेस और इसके गठबंधन की सरकार है, वहाँ इसाई मिशनरीज़ और मुस्लिम तुष्टिकरण को जमकर हवा दी जा रही है.
महाराष्ट्र के पालघर में दो निहत्थे साधुओं और उनके ड्राइवर की महाराष्ट्र पुलिस के हथियार बंद जवानों के सामने कर दी गई, लेकिन कांग्रेस और वामपंथियों के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं रहा. उसी महाराष्ट्र में अभिनेता सुशांत सिंह के एक्स मैनेजर दिशा सालियान के साथ रेप करके हत्या कर दी गई. इसके खिलाफ आवाज उठाने पर सुशांत सिंह की हत्या कर दी गई और दोनों हत्या को आत्महत्या का रूप दे दिया गया. चूंकि इस खेल में महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल दल शिवसेना के नेता का नाम उछला तो इसे मैनेज करने के लिए भाजपा के महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सहायता ली गई और आंख में धूल झोंकने के लिए फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से पर्यवेक्षक बना दिया गया. यही वो कड़ी है, जिसके कारण पूरी नेता बिरादरी से आम नागरिकों को घृणा हो जाती है. यहाँ सभी चोर-चोर मौसेरे भाई की तरह एक-दूसरे की मदद करते पाए गए. बदनाम कूपर अस्पताल में देर रात पोस्टमॉर्टम किया गया, जो कभी नहीं होना चाहिए था. जानबूझकर बिसरा के साथ छेड़छाड़ की गई. कई सवाल हैं, जो सुशांत सिंह और दिशा सालियान की हत्या के सबूतों को खत्म कर चुके हैं, जिसका लाभ अपराधियों को मिलने जा रहा है.

लगभग सालभर पहले लालकिले पर तथाकथित किसानों के हित में आंदोलन कर रहे खालिस्तानियों ने झंडा फहराया और वहाँ उपस्थित सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की थी, तब इन्हीं वामपंथियों के मुंह में दही जमा था.

2014 के बाद से मुस्लिम और इसाई तुष्टिकरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने रहे पार्टियों और इनके समर्थकों को देश में असहिष्णुता दिख रही है. ये वही लोग हैं, जिन्हें कभी भी कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ अमानवीय बर्ताव नहीं दिखा. इन सबको गोधरा दंगा दिख गया, लेकिन गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर सात में महीने भर की तैयारी के बाद स्थानीय कांग्रेस पार्षद के नेतृत्व में आग लगाकर निहत्थे और निर्दोष 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने की घटना न दिखी.

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