ऐसे तो कांग्रेस कुछ ही राज्यों में सत्ता का स्वाद चख रही है लेकिन जहां भी है वहां अपना तानाशाहपूर्ण रवैया दिखाने में कोई कमी नहीं कर रही है, चाहे राजस्थान हो या छत्तीसगढ़ , राजस्थान में कांग्रेस के राज में हिंदुओं पर अत्याचार, महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने एक अलग ही तुगलकी फरमान जारी कर सूबे का सियासी पारा बढा दिया है.

दरअसल कांग्रेस सरकार ने एक सख्त आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक अब राज्‍य में बिना अनुमति के धरना-प्रदर्शन करने नहीं दिया जाएगा. कोई भी व्‍यक्ति या संगठन प्रशासन की अनुमति के बिना धरना, प्रदर्शन, रैली, जुलूस और भूख हड़ताल नहीं कर पाएंगे. राज्‍य सरकार ने तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों और आयोजनों को लेकर नियम सख्त किए हैं. मतलब साफ है कांग्रेस सरकार ने राज्य में सरकार के खिलाफ बढ़ते जनाक्रोश को कुचलने के लिए ऐसे आदेश दिये हैं. सीधे तौर पर सरकार की मंशा साफ है कि आम लोगों की मांगो के लिए किये जाने वाले विरोध प्रदर्शनों को, विपक्षी की आवाज को, धार्मिक भावनाओं को और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचल दिया जाए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस आदेश में सबसे आपत्तिजनक और असंवैधानिक ये है कि आयोजकों से हलफनामा लिया जा रहा है कि आयोजन के दौरान किसी भी तरह के कथित उल्लंघन होने पर सीधे उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। यानि अब राज्य में कहीं भी कार्यक्रम के लिए शासन-प्रशासन का मोहताज रहना पड़ेगा । जब भी शासन का मन होगा वह किसी न किसी शर्त के उल्लंघन के आरोप में आयोजकों को जेल में डाल देगी। उन पर हमेशा गिरफ्तारी का तलवार लटकती रहेगी। आदेश में कुछ शर्तें तो ऐसी हैं कि जो सीधे तौर पर संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं।

साभार-Panchjanya

वहीं इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ बीजेपी भी सरकार पर पूरी तरह से हमलावर है. धरना प्रदर्शन को लेकर जारी आदेश पर बीजेपी का कहना है कि सरकार के साढ़े 3 साल के बाद इस तरह से प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाना बघेल सरकार का डर साफ दिखा रहा है. अपनी असफलता और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए सरकार ने हर तरह के आंदोलन को कुचलने की योजना बनायी है .

बीजेपी नेता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि जिस तरह से लगातार देश में आंदोलन हो रहे थे और लगभग हर एक संगठन इस सरकार के खिलाफ था. जिसके बाद आनन-फानन में यह आदेश निकालना इस बात को साबित करता है कि सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलना चाहती है. इस देश के अंदर धरना-प्रदर्शन आंदोलन को कोई रोक नहीं सकता. हमें तो अंग्रेजों का शासन याद आ रहा है. अंग्रेज और कांग्रेस काफी लंबे समय तक एक साथ काम करते रहे हैं. वही तस्वीर छत्तीसगढ़ में दिखाई दे रही है.

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