कश्मीर की सड़कों पर जिस तरह से हमारी सेना के जवानों पर पत्थरबाजी होती थी वो दौर देश ने देखा है. धारा 370 हटने से पहले कश्मीर में हर जुमे की नमाज के बाद सेना के जवानों के ऊपर दंगाई पत्थर फेंकते थे। पत्थरबाजी की जो परंपरा कश्मीर से शुरू हुई वो दिल्ली पहुंची। अब इसी तरह की हिंसा कानपुर में दिखी जहां जुमे की नमाज के बाद पूरी की पूरी भीड़ सड़कों पर उतर गई और कानपुर को हिंसा की आग में झोंकने की पूरी कोशिश की गयी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा से पहले ही मौलानाओं ने एक बैठक की थी। इस बैठक में हयात जफर हाशमी भी मौजूद था। इस बैठक के बाद ही हजारों की भीड़ सड़कों पर निकल पड़ी।

अब सवाल ये कि इस बैठक के बाद ही ठेलों पर पत्थर रखकर सड़कों पर लाए गए। इस बैठक के बाद ही कानपुर की सड़कों पर हिंसा हुई। तो क्या इन मौलानाओं ने इस बैठक में हिंसा की पूरी स्क्रिप्ट लिखी? इन मौलानाओं ने धर्म विशेष के युवाओं को हिंसा के लिए भड़काया ? क्योंकि इसी तरह से विशेष समुदाय के युवाओं को कश्मीर में भड़काया जाता था. दिल्ली में हुए दंगों में भी इसी तरह से विशेष समुदाय के युवाओं भूमिका हिंसा भड़काने को लेकर सामने आयी थी.

देखा जाए तो हिंसा फैलाने का, दंगे करने का ऐसा ही ‘प्रयोग’ कट्टरपंथी पूरे देश में कर रहे हैं . शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद कानपुर की सड़कों पर ‘शांतिप्रिय समुदाय’ ने पत्थर बरसाए , पुलिस वालों पर पत्थरबाजी की गई , यहां तक कि हिंदुओं की पहचान कर-करके निशाना बनाया गया .

दरअसल कानपुर को दंगे की आग में जलाने की कोशिश तो पूरी की गई थी लेकिन दंगाई भूल गये कि ये बाबाजी का उत्तर प्रदेश है. यहां अच्छे-अच्छों की हेकड़ी निकल गयी है तो फिर ये किस खेत की मूली हैं. CM योगी जी की पुलिस ने दंगाइयों को कानपुर की सड़कों पर घुमा-घुमाकर बताया कि यूपी में दंगे करने का नतीजा क्या होता है. इन दंगाईयों की कुटाई की आवाजें सोशल मीडिया पर भी खूब सुनायी दी. लेकिन इस बीच हमें ये नहीं भूलना चाहिए की कानपुर की हिंसा कोई संयोग मात्र नहीं है बल्कि पहले से तैयार किया गया एक प्रयोग था। जो पहले कश्मीर में किया जा चुका है .

दरअसल जिस मुद्दे का हवाला देकर शांतिप्रिय समुदाय ने सड़कों पर पत्थरबाजी की वो तो कोई मुद्दा है ही नहीं. ऐसे में हम भी ये सवाल कर सकते हैं कि जब हमारे शिवलिंग को फव्वारा कहा जा रहा था तब हमने तो किसी तरह की हिंसा नहीं की , जब सोशल मीडिया के जरिये शिवलिंग पर घटिया दर्जे की टिप्पणी की जा रही थी तब क्या हिंदुओं की भावनाएं आहत नहीं हुई थी ? बावजूद इसके कोई भी हिंदू हथियार लेकर सड़क पर नहीं निकला।

इधर महाराज जी ने सख्त तेवर अपनाते हुए बुलडोजर की तरफ नजरें भी घुमा दी है तो जल्द ही एक्शन भी देखने को मिलेगा. लेकिन मामला इतने पर ही खत्म नहीं होता इसके बाद दो चार बुद्धिजीवी मैदान में आएंगे. डर के माहौल का हवाला दिया जाएगा, सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को गरीबों का घर तोड़ने वाला तक बताया जाएगा. मतलब कुल मिलाकर पूरी तरह से हर बार की तरह विक्टिम कार्ड खेला जाएगा और देश में ऐसा माहौल तैयार कर दिया जाएगा कि देश का मुसलमान डरा हुआ है ऐसी हालत में वो कहां जाए, किससे मदद मागें …

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.