बाला साहेब ठाकरे हिंदुत्व की ललकार थे जिसका कोई भी मुकाबला नहीं कर सकता था. मुंबई नगरी पर 4 दशक तक राज करने वाले बाला साहेब ठाकरे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. यही वजह है कि जब 17 नवंबर 2012 को बाला साहेब का निधन हुआ था तो कभी न सोने वाली मुंबई थम गई थी, पूरे मुंबई में सन्नाटे की लहर पसर गई थी.

बाला साहेब ठाकरे एक ऐसी शख्सियत थे जिनके बारे में आप जितना ही जानेंगे आपकी नजर में उनका सम्मान और बढ़ जाएगा. कहा जाता था कि वो कभी भी किसी से मिलने नहीं गए. बड़ी से बड़ी हस्तियां उनसे मिलने उनके निवास मातोश्री पहुंचती थी. बाला साहेब स्पष्टवादी थे उन्हें कभी किसी का भय नहीं रहा. ये कहना गलत नहीं होगा कि “बालासाहब विश्व हिन्दू हृदय सम्राट थे, हैं और हमेशा रहेंगे’’. इस तथ्य में कोई संशय नहीं हैं .

कहा जाता है कि 1990 के दौर में जब मुस्लिम माफिया मुंबई को अपनी गिरफ्त में ले चुके थे। दाऊद इब्राहिम आर्थिक राजधानी को अपनी मुट्ठी में ले रहा था, उस समय बाला साहेब ठाकरे ने मुस्लिम माफियाओं का खुलकर विरोध किया। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में हुए दंगों में मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंदू बस्तियों को निशाना बनाया जाने लगा। तब बाल ठाकरे और शिवसैनिक खुलकर हिंदुओं के पक्ष में उतरे, बाला साहेब ने इस तथ्य को कभी छुपाया नहीं, बल्कि गर्व के साथ इसे दुनिया के सामने रखा। उनकी छवि एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर रही और संभवत: इसी वजह से उन्हें हिंदू हृदय सम्राट भी कहा जाने लगा था। उन्होंने कट्टरपंथियों को मुंबई से बाहर चले जाने को कहा था। खासकर वो बंग्लादेश से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों के खिलाफ थे।

वहीं बाला साहेब ठाकरे की भाषण देने की शैली भी ऐसी थी कि जो भी उन्हें एक बार सुनता उन्हें बार-बार सुनने की इच्छा होती. दरअसल 1993 में जब आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को बाधित करने की धमकी दी थी, तो स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे ने कहा था “अगर अमरनाथ यात्रा पर हमला हुआ और यात्रा रोकी गई, तो वो मुंबई से हज के लिए जाने वाली किसी भी उड़ान को उड़ने नहीं देंगे। हज के लिए जाने वाली 99% फ्लाइट मुंबई एयरपोर्ट से जाती हैं,  देखते है यहां से कोई यात्री हज कैसे जाता है”। उनके इस बयान के अगले ही दिन अमरनाथ यात्रा शुरू हो गयी थी।

हिंदुत्व के प्रखर वक्ता बाला साहेब के कारण ही महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी राजे की परंपरा और सोच उस दौर में भी अक्षुण्ण रही, जब वामपंथी इस देश को दीमक की तरह चाट रहे थे। लेकिन विडंबना देखिए आज शिवसेना बाला साहेब के विचारों से पूरी तरह से भटक गई है. दरअसल बिना किसी हिककिचाहट के अपनी बातों को सामने रखना ही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत थी। जो बात बाकी नेता कहने से घबराते थे, वे उन्हें डंके की चोट पर कह डालते थे।

हमेशा हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले बाला साहेब के कुछ इसी तरह के बयान ही थे, जिन्होंने उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट बनाया था। वे हमेशा हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए उग्र बयान देने से भी पीछे नहीं हटते थे। ऐसे हिंदुत्व के गौरव बाला साहेब ठाकरे को नमन.

 

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