देश भर में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा हो और आसपास कहीं मेला न चल रहा हो ऐसा सम्भव नहीं , हालांकि इस बार कोरोना के कारण उत्पन्न असाधारण स्थितियों की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा होगा किन्तु हरेक वर्ष कितना हर्ष , उल्लास , प्रकाश ,आनंद के साथ इस उत्सव को मनाया जाता रहा है ,इसकी एक बानगी , पंजाब के जालंधर के पास स्थित होशियारपुर में दशकों से लगने वाले इस नवरात्रि मेले की रौनक की इन तस्वीरों में देखा जा सकता है

गाँव कस्बों के मेलों में सबसे आवश्यक भी और सबसे आकर्षक भी: झूले
स्वागत द्वार पर आयोजक द्वारा शुभकामना सन्देश दिए जाने की परम्परा

आयोजक बताते हैं कि बेशक होशियारपुर को लोगबाग पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के शिक्षण स्थल के रूप में ज्यादा पहचानते हैं किन्तु यहां कुछ विद्यालय स्वतंत्रता पूर्व से ही बने हुए हैं और ऐसे ही , नवरात्रि /दशहरा मेले , रामलीला के मंचन ,रावण दहन आदि की परमपरा दशकों से चली आ रही है | इन्हींमें से एक है होशियारपुर कस्बे के नहर वाले बड़े मैदान में लगने वाला ये मेला |

ग्रामीण कस्बे के अँधरे में शहर की आबादी से थोड़ा दूर जाकर इस मेले की अस्थाई चकाचौंथ किसी मायानगरी जैसे जादुई लगते हैं
गाँव ,कस्बे और आसपास के शहर तक से लोग इन मेलों में घूमने और नवरात्रि मेले की परम्परा से जुड़ने आते हैं |
खास बात ये है कि , शहरी चकाचौंध से दूर एकदम सरल और सीधे , गाँव के आसपास के स्थानीय लोग ही विक्रेता होते हैं यहां
छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए लगाए गए अस्थाई झूले , स्थानीय रोजगार का एक बड़ा साधन
झूलों में लाइटें लगाकर उन्हें आकर्षित बनाने का देसी जुगाड़
बचपन से लेकर अब तक कौन होगा वो जिसने निशानेबाजी का मजा न लिया हो
ग्राम मेले में पुरुषों और महिलाओं के व्यवहार में लगभग एका सा हो जाता है ,निशाना साधते हुए

चलते चलते एक बात और , यहां न्यूट्री कुलचा के नाम से बनाए जाने वाला चटपटा सा व्यंजन जरूर खाया जा सकता है | उम्मीद है कि इस मेले की यादें और स्वाद बरसों तक भीतर में बसा रहता है

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