महाराष्ट्र का मराठवाड़ा जहां एक ओर सूखाग्रस्त, किसानों की बदहाल अवस्था और बंजर होती हुई भूमि से व्यथित प्रतीत होता है।

वहीं दूसरी ओर आदर्श गाँव की परिभाषा को पूर्णतः सार्थक करता हुआ औरंगाबाद जिले का एक छोटा सा 750 परिवारों वाला गाँव पाटोदा है जो इन सब से विपरीत खुशहाल ग्राम के लिए जाना जाता है।

इसकी परिकल्पना एवं शुरुआत कई वर्षों पहले ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच भास्कर पेरे जी ने की थी।

गाँव के पूरे 750 परिवार 100% टैक्स पेयर हैं जो सालभर का टैक्स अप्रैल में 70% और जून में बाकी का 30% भर देते हैं यहाँ से सालभर में करीब 30 लाख रुपये का टैक्स जमा होता है।

पूरा टैक्स चुकाने वालों को गेहूँ मुफ्त में पीसकर दिया जाता है पीने के लिए मिनरल वॉटर न्यूनतम दामों में और नहाने के लिए गर्म सोलर वॉटर का वितरण किया जाता है।

गाँववालों के अथक परिश्रम से बंजर जमीन को आज पूर्णतः हरियाली में परिवर्तित कर दिया गया है सौर ऊर्जा से यहां के नागरिकों को सस्ती दरों पर बिजली भी मुहैया करवाई जाती है जिससे ग्राम पंचायत का बिजली बिल भी बहुत कम आता है।

पूरे गाँव मे लगभग 100 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं एवं ग्राम पंचायत कार्यालय पूरी तरह से एयर कंडीशनर से लैस है।

पाटोदा को श्रेष्ठ मैनेजमेंट के लिए राष्ट्रपति पुरुस्कार भी मिल चुका है गाँव के हर व्यक्ति की सालगिरह पर उसका फोटो पंचायत बोर्ड पर लगता है एवं विद्यार्थियों को ठंड के दिनों में मुफ्त दूध भी दिया जाता है।

गाँव को गाँव रखकर भी शहरीय सर्व सुविधाओं से युक्त करके उसका संचालन कैसे किया जाता है इसका आदर्श उदाहरण भास्कर पेरे जी का गाँव पाटोदा है कभी मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन का जीवंत उदाहरण देखना हो तो इस गाँव की यात्रा अवश्य करें।

जय हिंद ??

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