देखने वाली बात – शिवसेना 6 दिसंबर को शौर्य दिवस मनाएगी या कांग्रेस की तरह काला दिवस !!

भगवान श्री राम के अस्तित्व की लड़ाई जब 90 के दशक में परवान चढ़ी हुई थी उस समय पर सबसे बीच में अगर कोई भगवान श्री राम के अस्तित्व है क्या रही थी तो वह थी बाबरी मस्जिद क्योंकि हिंदुस्तान के शांतिदूत अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को प्राथमिकता देते हुए भगवान राम के मंदिर निर्माण में रोड़ा अटका रहे थे उस समय हिंदुत्व की रक्षा के लिए सबसे बड़ी ताकत बनकर बाहर निकल कर जो सबके सामने आई वह थी शिवसेना शिवसेना कोई राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन नहीं था शिवसेना हिंदुत्व क्रांतिकारियों की एक सबसे बड़ी फौज थी जो हिंदुस्तान के बड़े से बड़े शहर से लेकर छोटे से छोटे गांव तक अपने पांव जमा चुकी थी और इस पूरी शिवसेना का नेतृत्व करने वाले विराट हृदय सम्राट निडर बाला साहब ठाकरे थे बाला साहब ठाकरे अपने आप में एक इतना बड़ा नाम जिसके रहते हिंदुत्व को ठेस पहुंचाने तो बहुत दूर की बात थी हिंदुत्व के खिलाफ अपनी जुबान खोलने से लोग कतराते थे वह एक दौर था जब हिंदू और हिंदुत्व के ऊपर कुछ भी बोलने से पहले हर व्यक्ति को सोचना पड़ता था 90 के दशक कई एक वाक्य ध्यान में है जब पाकिस्तान ने अमरनाथ यात्रा को रोक दिया था पाकिस्तान में छिपे आंतकवादी अमरनाथ यात्रा में गए यात्रियों को बंधक बना लिया था और अमरनाथ यात्रा किसी भी तरह से पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे ने केवल एक स्टेटमेंट दिया अमरनाथ यात्रा रोक दी कोई बात नहीं लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि हम भी देखते हैं कि मुंबई एयरपोर्ट से इस बार मक्का और मदीना जाने के लिए कितनी फ्लाइट उड़ती है इस स्टेटमेंट के 4 घंटे बाद अमरनाथ यात्रा खोल दी गई और सभी यात्री सुरक्षित रूप से बाबा भोलेनाथ के बाबा बर्फानी के दर्शन करके सकुशल अपने घर को लौट आए ऐसे थे बालासाहेब ठाकरे…..??

पर आज स्थितियां बहुत अलग है अब वह शिवसेना शिवसेना नहीं रही उसी शिवसेना में से चाहे गोपीनाथ मुंडे हो चाहे प्रमोद महाजन हो जय नारायण राणे हो चाहे राज ठाकरे हो चाहे सुरेश प्रभु हो या ना जाने ऐसे ऐसे कितने बड़े नेता धीरे-धीरे शिवसेना से किनारा कर चुके क्योंकि बाला साहब ठाकरे के जाने के बाद अब हिंदुत्व के लिए मर मिटने वाली वह शिवसेना नहीं रही बल्कि सत्ता लोलुपता के लिए सत्ता को हासिल करने के लिए सत्ता के स्वाद को चखने के लिए किसी भी हद तक गिर जाने की ओर तत्पर रहने वाली शिवसेना को अब लीड कर रहे थे उद्धव ठाकरे आदित्य ठाकरे और इनके साथ साथ शरद पवार और सोनिया गांधी अजब संजोग है शरद पवार और सोनिया गांधी जैसे लोगों को बाला साहब ठाकरे के घर में एंट्री करने से पहले भी सोचना पड़ता था आज वह बाला साहब ठाकरे के लड़कों के साथ महाराष्ट्र की सरकार चला रहे हैं सत्ता में सरकार चलाना गुनाह नहीं है लेकिन सप्ताह के अंदर रहकर अपने विचारों और स्वाभिमान का खून करना अपनी सोच और विचारों को इस तरह से तहस-नहस करना सच में दुखदाई है

90 के दशक में जब 1992 में बाबरी के ढांचे को गिराया गया उस समय बालासाहेब ठाकरे ने खुलकर खा कि हां हमारे शिव सैनिकों ने बाबरी ढांचे को ध्वस्त किया है और हमें इस बात का गर्व है यह बात खुलकर कहने वाला हिंदुत्व का शेर केवल बाला साहब ठाकरे था जिसे राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था जिसे सत्ता से कोई लेना-देना नहीं था आज वहां पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का मंदिर बनने जा रहा है निश्चित रूप से बालासाहेब ठाकरे की आत्मा आज बहुत खुश होगी क्योंकि अयोध्या में मंदिर बन रहा है लेकिन दूसरी तरफ बालासाहेब ठाकरे की आत्मा रो ही रही होगी क्योंकि यह वहीं शिवसेना है जिसने तब से लेकर 1992 से लेकर अब तक हर 6 दिसंबर को जो दिन बाबरी ढांचे को विध्वंस करने के रूप में जाना जाता है हर 6 दिसंबर को शौर्य दिवस के रुप में मनाया है और इसके उल्टे कांग्रेश ने 6 दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाया है अब जब महाराष्ट्र में सरकार शिवसेना और कांग्रेस की है एनसीपी भी इनके साथ में सत्ता में है अब सोचने वाला विषय यह होगा कि जब 6 दिसंबर आ रहा है तो शिवसेना क्या इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाएगी क्या इतनी हिम्मत कर पाएगी कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में महाराष्ट्र की सरकार चलाने वाली शिवसेना शौर्य दिवस मना पाएगी या फिर गठबंधन में आने के बाद कांग्रेस के सिद्धांतों पर चलते हुए 6 दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाएगी यह इत्तेफाक नहीं है कि जिन लोगों से बाला साहब ठाकरे नफरत करते थे उन्हीं लोगों की मूर्तियां आज मातोश्री में उन्हीं की ही संताने पुष्प अर्पित करती है यह कहीं ना कहीं अंदेशा है कि शिवसेना अपनी सोच और विचारों को पूर्ण रूप से खो चुकी है और ऐसे गठबंधन में इनको समय-समय पर ऐसी समस्याएं आएगी जो बाला साहब ठाकरे हिंदुत्व के लिए जाने जाते थे आज उन्हीं की मेहनत से बनाई गई शिवसेना के नाम से पोस्टर लगते हैं मुंबई के अंदर जिसमें ईद और बकरा ईद की बधाइयां खुलेआम दी जाती है हिंदुस्तान को ठेस पहुंचाने वाले देशद्रोही गद्दारों से नफरत थी इसीलिए वह अपने बेबाकी के लिए जाने जाते थे खुलकर कहते थे आज जब शिवसेना अपने सिद्धांतों और विचारों से हटकर कोई कार्य करती है बाला साहब ठाकरे की याद आती है तब तक उनकी हूंकार की याद आती है कि कैसे एक मराठी मानुष हिंदुत्व के लिए अपना सीना चौड़ा करके विश्व के किसी भी देश से टकराने का मादा रखता था अपनी मृत्यु का डर कभी भी बालासाहेब ठाकरे को नहीं लगा और ना ही कुछ हासिल करने के इरादे से अपने स्वार्थ को बाला साहब ठाकरे ने प्रदर्शित किया

आज जब जब शिवसेना अनुचित फैसले लेती है बाला साहब ठाकरे की याद आती है

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