मोदी सरकार द्वारा लाए सिर्फ एक कानून ने , NGO के नाप पर देश में पनप रहे हज़ारों आस्तीन के साँपों की दुम पर मानो पेट्रोल छिड़क दिया है। सैकड़ों अपनी दुकानें धंधे समेट के हमेशा के लिए जमींदोज़ हो गए हैं।

एक दिन ऐसा नहीं बीत रहा जब विदेशी मुद्रा नियामक कानून में हुए नए और कठोर बदलावों के कारण ये साँपों की केंचुली उतर रही है और इनके बिलों में छिपा करोड़ों रूपए का काला धन और ये तमाम अजगर अब सरकार के शिकंजे में फँसते जा रहे हैं। कहीं ईसा पकड़े जा रहे हैं तो कहीं मूसा।

हाल ही में , ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल ने NGO के नाम पर आतंकी संगठनों से , 70 करोड़ रुपए मंगवाए और उनमें से सिर्फ 2 करोड़ रूपए दिखा ने के लिए खर्च करके बाकी के सारे अपने छिपे एजेंडे को पूरा करने में लगा दिए।

असम के होजाई में , इत्र , शिक्षा , स्वास्थ्य , महिला सशक्तिकरण आदि के नाम और काम पर वर्ष 2005 में एक स्वयंसेवी संस्था स्थापित करके तुर्की और ब्रिटेन से अलकायदा , तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों से हवाला के जरिये करोड़ों रूपए मंगवा कर उन पैसों का दुरुपयोग करता रहा है। इतना ही नहीं पूरे समाज में ये अफवाह भी फैला रखी थी कि वो ये समाज सेवा के सारे काम अपने पैसों से करता है।

अब भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री सत्यरंजन बोहरा की शिकायत पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों ने अजमल के विरूद्ध विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज़ कर जाँच शुरू कर दी है।

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